भारतमाला प्रोजेक्ट में दानपत्र घोटाला: अधिसूचना के हफ्तेभर में बांट दी गई जमीनें, मुआवजा पहुंचा करोड़ों में
रायपुर-विजाग कॉरिडोर में दानपत्रों से जमीन विभाजन का खुलासा। अधिसूचना के बाद जमीन बांटकर करोड़ों का मुआवजा लिया गया, जांच पहुंची EOW तक।

रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर-विजाखापट्टनम कॉरिडोर में भू-अर्जन घोटाले का पर्दाफाश लगातार गहराता जा रहा है। हरिभूमि को मिली विशेष रिपोर्ट के अनुसार, नायकबांधा गांव में नियमों को दरकिनार कर दानपत्रों के ज़रिए ज़मीनों का अवैध हस्तांतरण किया गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि 30 जनवरी 2020 को जब भारतमाला परियोजना के लिए अधिसूचना जारी हुई, उसी के तीन से छह दिन के भीतर, तीन अलग-अलग प्रकरणों में दानपत्रों के माध्यम से जमीनों को टुकड़ों में बांट दिया गया। इस प्रक्रिया का मकसद साफ था – भूमि स्वामियों को छोटे-छोटे हिस्सों के आधार पर अधिक मुआवजा दिलवाना।
दानपत्रों से घोटाले की पटकथा:
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अधिसूचना: 30 जनवरी 2020
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दानपत्र पेश: 3 फरवरी और 6 फरवरी 2020
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प्रकरण: 3 मामलों में जमीनों का विभाजन
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लाभ: 6 मामलों में ही शासन को ₹21.21 लाख की जगह ₹3.46 करोड़ का भुगतान करना पड़ा
इस घोटाले में भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 178 और 178(क) की पूरी तरह अनदेखी की गई। तत्कालीन तहसीलदार ने अधिसूचना के बाद भी बैंक डेट में खसरा विभाजन करके मुआवजा बढ़वाया।
घोटाले की परतें: न पंजीयन, न सुनवाई की तारीख
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जमीनों को दानपत्र से बांटने के मामलों में न तो ऑनलाइन पंजीयन किया गया
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वाद सूची में कोई प्रविष्टि नहीं की गई
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सुनवाई की तारीख तक का जिक्र रिकार्ड में नहीं मिला
यह सभी तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि घोटाला योजनाबद्ध और साजिशन तरीके से अंजाम दिया गया।
अब जांच की आंच में अफसर
हरिभूमि के पास मौजूद रिपोर्ट में एक-एक अफसर की भूमिका का विस्तृत ब्यौरा दर्ज है।
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कुछ अधिकारी निलंबित
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नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने CBI जांच की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा
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मामला अब ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपा गया है
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आरोप – बड़े रसूखदारों को बचाने की कोशिशें जारी