विवादों के साए में खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय की कमान संभाली डॉ. लवली शर्मा ने
विवादों के साए में खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय की कमान संभाली डॉ. लवली शर्मा ने

खैरागढ़ – छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में चल रहे विवादों के बीच डॉ. लवली शर्मा ने कुलपति पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। उनके कार्यभार संभालने से पहले ही विश्वविद्यालय परिसर में विरोध और असंतोष का माहौल बना हुआ था, खासकर छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा खुलकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
डॉ. लवली शर्मा की नियुक्ति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। उन पर पूर्व में विभिन्न प्रकार के गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें फर्जी यात्रा बिलों का भुगतान और अपने करीबी लोगों को अनुचित लाभ पहुँचाने जैसे मामले शामिल हैं। इन मामलों की जांच पहले ही लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा की जा चुकी है। इसके बावजूद, उन्हें विश्वविद्यालय के सर्वोच्च पद पर नियुक्त किए जाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
कुलपति का पदभार संभालने से पहले डॉ. शर्मा ने दंतेश्वरी माता मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर विश्वविद्यालय परिसर में राजा, रानी और राजकुमारी इंदिरा की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने स्वयं पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यदि कोई यह साबित कर दे कि उन्होंने दो रुपये का भी भ्रष्टाचार किया है, तो वह तुरंत स्वीकार कर लेंगी कि उन्होंने नैतिक रूप से हार मान ली है।
डॉ. शर्मा ने आगे कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता विश्वविद्यालय को फिर से ‘A ग्रेड’ दिलाना है। साथ ही उन्होंने रिसर्च और शिक्षण के स्तर को बेहतर करने तथा छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देने की बात कही। उनका कहना है कि छात्रों को आत्मविश्वासी बनाना और उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अवसर देना उनकी प्रमुख योजनाओं में शामिल है।
वहीं दूसरी ओर, ABVP का कहना है कि विश्वविद्यालय के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। संगठन का आरोप है कि डॉ. शर्मा की नियुक्ति पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नहीं हुई और यह विश्वविद्यालय की गरिमा के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी इस मुद्दे पर तेज़ हो गई है। कांग्रेस के विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने कहा कि यदि इसी प्रकार का प्रदर्शन NSUI द्वारा किया गया होता, तो प्रशासन अब तक छात्रों पर FIR दर्ज कर चुका होता। उनका आरोप है कि ABVP को सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जो साफ तौर पर दोहरे मापदंड को दर्शाता है।
इस पूरे घटनाक्रम से सरकार भी असहज होती दिख रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस मुद्दे को किस तरह से संभालती है—क्या छात्र संगठन पर कोई सख्त कार्रवाई होती है या कुलपति की नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाता है।
डॉ. शर्मा के सामने अब एक बड़ी चुनौती है—विश्वविद्यालय का शैक्षणिक और सामाजिक माहौल पुनः सकारात्मक दिशा में ले जाना और छात्रों के बीच विश्वास कायम करना।