डॉ. सलीम राज का राहुल गांधी को जवाब: वक्फ कानून पर कांग्रेस का पाखंड उजागर
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने वक्फ संशोधन विधेयक पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान को लेकर तीखा पलटवार किया है।

रायपुर, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने वक्फ संशोधन विधेयक पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान को लेकर तीखा पलटवार किया है। डॉ. राज ने कहा कि कांग्रेस का खुद का इतिहास संविधान पर हमलों से भरा हुआ है, और अब वही पार्टी वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ झूठा विमर्श गढ़ रही है।
डॉ. सलीम राज का बयान: कांग्रेस ने ही संविधान को सबसे ज्यादा घायल किया
डॉ. सलीम राज ने स्पष्ट कहा कि आपातकाल के दौरान विपक्ष विहीन संसद में कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना तक बदलने का पाप किया। आज वही कांग्रेस वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संविधान के नाम पर पाखंड कर रही है।
उन्होंने कहा कि, “70 वर्षों तक शासन में रहने वाली कांग्रेस ने संविधान को हर स्तर पर लहूलुहान किया है। राहुल गांधी का बयान सिर्फ भ्रम फैलाने और मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने की कोशिश है।”
वक्फ संशोधन कानून: सभी धर्मों और समुदायों के हितों की रक्षा
डॉ. राज के अनुसार, वक्फ संशोधन कानून को धर्म और जाति के चश्मे से देखना कांग्रेस की राजनीतिक आदत है। जबकि यह कानून राष्ट्रीय एकता, पारदर्शिता और जरूरतमंद मुसलमानों के सशक्तिकरण के लिए बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कभी भी संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाया। यह कानून समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से हितकारी है, खासकर वंचित मुस्लिमों के लिए।”
कांग्रेस नेताओं की चुप्पी और वैचारिक दरिद्रता
डॉ. राज ने सवाल उठाते हुए कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के बड़े नेता – राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा और सोनिया गांधी – इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा से बचते रहे। बाद में मीडिया में बयान देकर जनता को भ्रमित करना कांग्रेस की आदत बन चुकी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि, “कांग्रेस अब भी साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की राजनीति में उलझी हुई है। वैचारिक रूप से दिवालिया पार्टी आज भी मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक मानती है।”
मुस्लिम समाज ने वक्फ कानून का किया स्वागत
डॉ. राज ने बताया कि देश के प्रगतिशील और शिक्षित मुस्लिम वर्ग ने वक्फ संशोधन विधेयक का खुले दिल से समर्थन किया है, क्योंकि यह कानून शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।