रायपुर। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि, यानी 6 अक्टूबर 2025 को देशभर में शरद पूर्णिमा का पावन पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है।
इसी विशेष अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित दूधाधारी मठ में भगवान बालाजी की एक सदियों पुरानी और अनुपम परंपरा निभाई जाएगी।
आधी रात होगा बालाजी का दुर्लभ दर्शन
शरद पूर्णिमा की मध्यरात्रि को दूधाधारी मठ के आराध्य देव भगवान बालाजी को उनके गर्भगृह (मंदिर के मुख्य कक्ष) से बाहर लाया जाएगा। यह भक्तों के लिए एक बेहद दुर्लभ और सौभाग्यशाली अवसर होता है, क्योंकि आमतौर पर भगवान गर्भगृह से बाहर नहीं आते हैं।
मठ के महंत रामसुंदर दास की अगुवाई में भगवान बालाजी को चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराकर विशेष अनुष्ठान और पूजा-अर्चना की जाएगी। यह परंपरा मठ में सदियों से चली आ रही है।
भक्तों में वितरित होगी ‘अमृत खीर’
विशेष अनुष्ठान के बाद, भक्तों के बीच ‘अमृत खीर’ का प्रसाद वितरित किया जाएगा। माना जाता है कि इस खीर को रात भर चंद्रमा की अमृतमयी रोशनी में रखा जाता है, जिससे यह औषधीय गुणों से भरपूर और अमृत के समान गुणकारी हो जाती है। इस खीर को ग्रहण करने से आरोग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पर्व का ज्योतिषीय महत्व और अन्य उत्सव
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा का सप्तम भाव में होना और वृद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो इस तिथि को और भी अधिक फलदायी बनाता है।
इस दिन रायपुर में केवल दूधाधारी मठ ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्थानों पर भी धार्मिक उत्सव आयोजित किए जाएंगे:
- कोजागरी पूजा: बंगाली समाज द्वारा शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी की विशेष कोजागरी पूजा की जाती है। इसके लिए शहर की विभिन्न कालीबाड़ी चौकों पर भव्य आयोजन होंगे।
- शिवामृत महोत्सव: खारुन नदी के तट पर स्थित श्री महाकाल धाम, अमलेश्वर में शिवामृत महोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान सहस्त्र पार्थिव शिवलिंग निर्माण, रुद्राभिषेक और महाकाल की महाआरती होगी।
- रास उत्सव: गोपाल मंदिर और गिरिराज मंदिर में ठाकुरजी को श्वेत वस्त्रों और आभूषणों से सजाकर रास उत्सव और चंद्रमा की रोशनी में आरती की जाएगी।