राज्य बाल संरक्षण आयोग के हस्तक्षेप से 8 साल बाद बच्ची को मिला पिता का सहारा

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग की सुनवाई के दौरान एक मार्मिक मामला सामने आया, जिसने सभी को भावुक कर दिया। आठ साल की मासूम बच्ची निकिता, जिसने कभी अपने पिता को नहीं देखा था, पहली बार उनसे फोन पर बात कर पाई। पिता की आवाज सुनते ही वह कुछ क्षणों के लिए स्तब्ध रह गई और फिर धीमे स्वर में बोली—”पापा, मेरा जाति प्रमाणपत्र बनवा दो, स्कूल में मैडम मुझे बहुत डांटती हैं।”
पिता से अलग रही बच्ची को नहीं मिल रहे थे ज़रूरी दस्तावेज
खपरी निवासी निकिता की मां संध्या नवरंग ने राज्य बाल संरक्षण आयोग में आवेदन देकर बताया कि उनके पति गजेन्द्र नवरंग से अलगाव के कारण बेटी का जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate) नहीं बन पा रहा है। दस्तावेजों के अभाव में उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। आयोग ने इस गंभीर मामले पर संज्ञान लेते हुए गजेन्द्र को तलब किया।
आयोग की सख्ती के बाद पिता ने पहली बार की बेटी से बात
बाल संरक्षण आयोग के सदस्य सोनल कुमार गुप्ता की उपस्थिति में गजेन्द्र को अपनी बेटी से फोन पर बात करने के लिए कहा गया। फोन उठाते ही उसने कहा—“बेटा, मैं तेरा पापा बोल रहा हूं।” यह सुनते ही बच्ची अवाक रह गई और फिर मासूमियत से बोली—“पापा, अच्छे-अच्छे कपड़े और बहुत सारा पैसा भी लाना।” इस बातचीत के दौरान भावुक क्षण देखने को मिले, जिसे आयोग ने रिकॉर्ड भी किया।
पति-पत्नी के विवाद में बच्चों का भविष्य न हो प्रभावित: आयोग
सुनवाई के दौरान आयोग ने गजेन्द्र को फटकार लगाते हुए कहा कि पति-पत्नी के आपसी विवाद में बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। आयोग ने चेतावनी दी कि अगर पिता अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करेगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आयोग के प्रयास से बच्ची को मिला पिता का सहारा
बाल संरक्षण आयोग के इस हस्तक्षेप के बाद गजेन्द्र ने भरोसा दिलाया कि वह होली पर अपनी बेटी से मिलने आएगा और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएगा। यह मामला समाज के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि माता-पिता के आपसी मतभेदों के बीच बच्चों के अधिकारों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।