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ED ने दी अमानतुल्लाह के घर दबिश: AAP नेताओं का बीजेपी पर आरोप, तानाशाही का दावा

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान के घर पर सोमवार, 2 सितंबर की सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने छापा मारा। अमानतुल्लाह खान ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि ED की टीम उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके घर पहुंची है। इस छापेमारी के दौरान दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल भी मौजूद थे।

अमानतुल्लाह खान का आरोप

ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई तानाशाह के इशारे पर की जा रही है और ED को बीजेपी की कठपुतली करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या जनता की सेवा करना अब अपराध हो गया है? खान का कहना है कि ED और बीजेपी उन्हें और उनके अन्य आप नेताओं को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

आप नेताओं की प्रतिक्रिया

AAP नेता मनीष सिसोदिया ने इस कार्रवाई पर बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि अब ED का काम हर उस आवाज को दबाना रह गया है जो बीजेपी के खिलाफ उठती है। सिसोदिया ने आरोप लगाया कि जो नेता झुकते नहीं, उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाता है। उन्होंने इसे तानाशाही का उदाहरण बताया और पूछा कि यह कब तक चलेगा।

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी ED की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अमानतुल्लाह खान ने जांच में पूरा सहयोग किया, फिर भी बिना सबूत के उनके घर पर छापा मारा गया। संजय सिंह ने इसे मोदी की तानाशाही और ED की गुंडागर्दी करार दिया, और बताया कि खान की सास कैंसर से पीड़ित हैं, जिनका ऑपरेशन हुआ है।

बीजेपी का जवाब

बीजेपी प्रवक्ता प्रवीन शंकर कपूर ने अमानतुल्लाह खान पर तंज कसते हुए कहा कि जो बोया है, वही काटोगे। कपूर ने कहा कि अमानतुल्लाह खान को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि कानूनी कार्रवाई के खिलाफ इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं। बीजेपी का कहना है कि ED की कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी है और इसमें किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं किया गया है। जिसने गुनाह किया है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक संदर्भ

AAP के कई नेता पिछले एक साल से शराब घोटाले और उससे जुड़े मामलों में जेल जा चुके हैं, जिनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, और संजय सिंह जैसे बड़े नेता शामिल हैं। इस नई कार्रवाई ने पार्टी के भीतर चिंता का माहौल पैदा कर दिया है, और पार्टी ने आरोप लगाया है कि ये सभी मामले राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखे जा रहे हैं।

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