पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भेजा नोटिस, 20 करोड़ के फर्जीवाड़े का आरोप
नई दिल्ली: भारत के पूर्व महान क्रिकेटर और वर्तमान कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (HCA) से जुड़े एक गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब किया है। इस मामले में लगभग ₹20 करोड़ की फर्जीवाड़े की बात सामने आई है, जिससे अजहरुद्दीन के समर्थकों और विपक्षियों दोनों में व्यापक चर्चा हो रही है।
मामले का परिचय
इस मामले की जड़ है हैदराबाद के उप्पल क्षेत्र में स्थित राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम, जहां पर ₹20 करोड़ की धनराशि का दुरुपयोग करने का आरोप है। यह धन राशि डीजल जनरेटर, अग्निशामक प्रणाली, और स्टेडियम की छतों की खरीद के लिए आवंटित की गई थी। ED के अनुसार, इस धन का उपयोग करने में कई गंभीर अनियमितताएँ पाई गई हैं, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना सामने आई है।
ED की जांच और छापेमारी
नवंबर 2023 में, ED ने तेलंगाना के नौ स्थानों पर मनी शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत छापेमारी की। इस छापेमारी का मुख्य उद्देश्य HCA के वित्तीय लेनदेन की जांच करना था। गद्दाम विनोद, जो कि HCA के एक प्रमुख व्यक्ति हैं, के आवास पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा, शिवलाल यादव और अरशद अयूब, जो क्रमशः HCA के पूर्व अध्यक्ष और उपाध्यक्ष रह चुके हैं, के घरों पर भी छापेमारी की गई।
दस्तावेज़ और साक्ष्य का जब्ती
छापेमारी के दौरान ED ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और डिजिटल डिवाइस बरामद किए। इनमें लगभग ₹10.39 लाख की नकदी भी शामिल थी, जो संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ी हो सकती है। विशेष रूप से, गद्दाम विनोद के परिसर में ऐसे दस्तावेज़ मिले जो यह दर्शाते हैं कि उनके भाई गद्दाम विवेकानंद द्वारा संचालित कंपनियों के माध्यम से फर्जी लेनदेन किए गए थे।
आरोप पत्र और जांच की प्रगति
ब्रॉश्टेक्शन निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज तीन FIR और HCA के ₹20 करोड़ के दुरुपयोग के संबंध में ED ने आरोप पत्र प्रस्तुत किया है। आरोप पत्र में बताया गया है कि HCA के उच्चाधिकारियों ने निजी पार्टियों के साथ मिलीभगत करके निविदाओं और कार्यों को मनमाने ढंग से आवंटित किया। इससे न केवल वित्तीय गड़बड़ियों का पता चला है, बल्कि HCA को भी गंभीर आर्थिक नुकसान हुआ है।
गंभीर अनियमितताएँ और फर्जीवाड़े के संकेत
जांच में यह भी सामने आया है कि HCA के अधिकारियों ने निविदा प्रक्रिया का सही पालन नहीं किया और कई मामलों में बिना उचित कोटेशन के ठेके आवंटित कर दिए। इससे स्टेडियम के विकास कार्यों में देरी हुई और लागत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इसके अतिरिक्त, विसाका इंडस्ट्रीज और उसकी समूह कंपनियों के माध्यम से बड़े मूल्य के नकद लेनदेन और भुगतान किए जाने के प्रमाण मिले हैं, जो एक संदेहास्पद आर्थिक नेटवर्क का संकेत देते हैं।
राजनीतिक और व्यक्तिगत करियर पर प्रभाव
इस मामले की गहराई से जांच होने पर मोहम्मद अजहरुद्दीन के राजनीतिक और व्यक्तिगत करियर पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। अगर जांच में उनकी लिप्तता सिद्ध होती है, तो यह उनके कांग्रेस में स्थिति को कमजोर कर सकता है। वहीं, उनके समर्थक इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध का प्रयास मान सकते हैं, जिससे राजनीतिक माहौल और भी तनावपूर्ण हो सकता है।
ED की आगे की कार्रवाई और प्रतिक्रिया
अब देखा जाना बाकी है कि ED इस मामले में आगे कैसे कदम उठाता है और क्या नए साक्ष्य सामने आते हैं। मोहम्मद अजहरुद्दीन को इस संदर्भ में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी निष्पक्षता साबित करने में मदद मिल सकती है। वहीं, विपक्षी दल इस मामले को उनके खिलाफ इस्तेमाल करने की संभावना पर भी नजर बना हुए है।
मोहम्मद अजहरुद्दीन के खिलाफ यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला भारतीय क्रिकेट और राजनीति दोनों में ही हलचल मचा रहा है। ED की जांच की प्रक्रिया के दौरान सामने आए साक्ष्य और आरोप पत्र इस मामले को और भी जटिल बना रहे हैं। आगामी दिनों में इस मामले की प्रगति और उसके प्रभाव पर सभी की नजरें बटोर ली गई हैं।