मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश कांग्रेस में थम नहीं रही गुटबाजी: भोपाल में संगठन सृजन बैठक में फिर भिड़े कार्यकर्ता

मध्य प्रदेश कांग्रेस में थम नहीं रही गुटबाजी: भोपाल में संगठन सृजन बैठक में फिर भिड़े कार्यकर्ता

भोपाल, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश कांग्रेस में आंतरिक कलह और गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार, 20 जून 2025 को भोपाल के नरेला विधानसभा में आयोजित कांग्रेस के ‘संगठन सृजन अभियान’ की एक महत्वपूर्ण बैठक में कार्यकर्ताओं के बीच जमकर वाद-विवाद और हाथापाई हो गई। यह घटना पार्टी के भीतर गहरे जड़ें जमा चुकी अनुशासनहीनता और मतभेदों को एक बार फिर उजागर करती है।

क्या हुआ बैठक में? जानकारी के अनुसार, नरेला विधानसभा में जिलाध्यक्ष के लिए रायशुमारी करने के लिए पर्यवेक्षकों की टीम पहुंची थी। इसी दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष मोनू सक्सेना और नरेला विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रहे मनोज शुक्ला के समर्थक आमने-सामने आ गए और जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। स्थिति को बिगड़ता देख, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक यशोमती ठाकुर ने तुरंत माइक अपने हाथ में लिया और बैठक को समाप्त करने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि अब रायशुमारी ‘वन टू वन’ (एक-एक करके) की जाएगी। हालांकि, उनके जाते ही दोनों गुटों के समर्थकों ने कुर्सियां उठा लीं और उनके बीच हाथापाई शुरू हो गई, जिससे बैठक स्थल पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

दो दिन पहले भी हुई थी झड़प: यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे ठीक दो दिन पहले, मध्य विधानसभा में हुई रायशुमारी के दौरान भी कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद और कांग्रेस नेता साजिद अली के समर्थक आपस में भिड़ गए थे। इन लगातार हो रही घटनाओं से स्पष्ट है कि पार्टी के भीतर गुटबाजी किस हद तक हावी हो चुकी है, और यह ‘संगठन सृजन अभियान’ के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

‘संगठन सृजन अभियान’ पर सवाल: उल्लेखनीय है कि ‘संगठन सृजन अभियान’ का शुभारंभ स्वयं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसी महीने की 3 तारीख को भोपाल दौरे के दौरान किया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है। इसके लिए कांग्रेस ने कुल 61 पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है, जिन्हें राज्य के विभिन्न जिलों में पार्टी की स्थिति का आकलन करने और नए सिरे से संगठन खड़ा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि, जिस तरह से इन बैठकों में आंतरिक कलह और मारपीट की घटनाएं सामने आ रही हैं, वह इस अभियान की सफलता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपनी खोई हुई पकड़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस आंतरिक कलह को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने होंगे, अन्यथा यह न केवल पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि आगामी चुनावों में भी उसके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button