निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर: चुनावी बॉन्ड्स से उगाही का आरोप
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने उगाही के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने उगाही के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इस मामले को जनाधिकार संघर्ष परिषद (Janaadhikaara Sangharsha Parishath) नामक एनजीओ ने दायर किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनावी बॉन्ड्स योजना के जरिए उगाही की गई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस योजना को असंवैधानिक करार दिया था।
चुनावी बॉन्ड्स योजना और विवाद
2018 में शुरू की गई चुनावी बॉन्ड्स योजना को पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह सूचना के अधिकार (RTI) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चुनावी बॉन्ड्स जारी करने पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
बीजेपी और चुनावी बॉन्ड्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस योजना के तहत लगभग 6,986.5 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। इसके बाद कई डोनर्स जांच के दायरे में आए, जिनमें कुछ कंपनियों का मुनाफा कम होने के बावजूद उन्होंने राजनीतिक दलों को डोनेशन दिया।इस मामले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और निर्मला सीतारमण से इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने इस मामले की जांच रिपोर्ट तीन महीने में आने की बात कही और जोर दिया कि सीतारमण को भी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।
एफआईआर और जांच
निर्मला सीतारमण के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस धारा के तहत किसी भी सरकारी सेवक के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकरण की अनुमति आवश्यक होती है। अदालत ने इस मामले में तीन महीने में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनावी बॉन्ड्स को लेकर राजनीतिक गलियारों में खींचतान तेज हो गई है। जहां एक तरफ सरकार ने इसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया, वहीं विपक्ष इसे असंवैधानिक और भ्रष्टाचार का जरिया मानता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि तीन महीने बाद इस जांच में क्या खुलासे होते हैं।