
JAGDALPUR NEWS – छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के किसान इस समय बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ सिंचाई की जीवनरेखा मानी जाने वाली इंद्रावती नदी पूरी तरह से सूख गई है, जिससे खेतों में पानी देना नामुमकिन हो गया है। वहीं दूसरी ओर, बेमौसम बारिश और तेज आंधी ने किसानों की बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।
पिछले कुछ दिनों से बस्तर अंचल के कई हिस्सों में अचानक मौसम ने करवट ली है। तेज हवाओं के साथ गरज-चमक और बारिश ने खेतों में खड़ी फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। कई जगहों पर ओले गिरने की भी खबरें हैं। किसान बताते हैं कि जब फसलें तैयार होने लगी थीं, तभी तेज हवा और बारिश ने उन्हें पूरी तरह जमीन पर बिछा दिया। इससे दाने खराब हो गए और उत्पादन पूरी तरह चौपट हो गया।
किसानों के अनुसार, इंद्रावती नदी का सूखना पहली बड़ी समस्या थी, जिसकी वजह से समय पर सिंचाई नहीं हो पाई। जैसे-तैसे मेहनत करके कुछ फसल उगाई भी गई, तो अब बेमौसम बारिश और तूफान ने उसे भी नष्ट कर दिया। इस साल बस्तर के किसान लगभग पूरी तरह से खाली हाथ रह गए हैं।
ग्रामीण इलाकों में धान, मक्का, सब्जियां और दालों की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई किसानों के खेतों में अब केवल पानी और कीचड़ ही नजर आ रहा है। कुछ इलाकों में छोटे पुल और कच्ची सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे गांवों का संपर्क भी टूट गया है।
किसान प्रशासन से तत्काल सर्वे और उचित मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते राहत नहीं मिली, तो आने वाले सीजन में बुआई कर पाना भी मुश्किल होगा।
प्रशासन की ओर से फिलहाल सर्वे टीमों को गांवों में भेजा गया है, जो नुकसान का आकलन कर रही हैं। हालांकि किसान चाहते हैं कि सर्वे सिर्फ कागज़ी कार्रवाई न बनकर, जल्दी से जल्दी राहत राशि के रूप में उन तक पहुंचे।