राजधानी रायपुर में आधे-अधूरे पड़े स्काई वॉक का निर्माण पूरा किया जाएगा। विष्णुदेव साय सरकार ने जनहित में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का निर्णय लिया है। 2018 में राज्य में कांग्रेस सरकार ने स्काई वॉक को अनुपयोगी बताकर इसके निर्माण पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब सरकार के निर्देशों के बाद लोक निर्माण विभाग की सेतु निगम ने रिपोर्ट दी है कि स्काई वाक का ढांचा मजबूत है। इसे दोबारा तैयार किया जा सकता है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की सामान्य सुझाव समिति ने भी स्काइ वॉक को तोड़ने के बजाय जनहित में इसके उपयोग का सुझाव दिया था। बावजूद इसके सरकार ने निर्माण कार्य रोके रखा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बारिश के बाद सितंबर-अक्टूबर में निर्माण कार्य जारी किया जा सकता है। नगरीय निकाय चुनाव के आचार संहिता के पहले टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
सीसीटीवी से लैस होगा
स्काई वॉक का उपयोग मुख्यतौर पर फुटओवर ब्रिज के रूप में होगा। स्काई वॉक के अलग-अलग स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाएंगे। टेंडर के वक्त समय-सीमा महत्वपूर्ण होगी। पुराना खराब स्ट्रक्चर को हटाया जाएगा। पूर्व में स्वीकृत ड्राइंग-डिजाइन में जरूरतों के हिसाब से संशोधन किया जाएगा।
लोक निर्माण विभाग मंत्री अरुण साव ने कहा, जनहितों के मद्देनजर स्काई वॉक प्रोजेक्ट पर विचार किया जा रहा है। पिछली सरकार ने इस पर राजनीति की। स्ट्रक्चर रिपोर्ट के आधार पर निर्माण कार्य होगा।
स्काइ वॉक पर कब-कब क्या हुआ
1. 2016-17 में भाजपा ने निर्माण कार्य शुरु किया, लखनऊ के मेसर्स जीएस एक्सप्रेस को काम सौंपा गया।
2. आठ माह में निर्माण कार्य पूरा करना था। 42 करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत 77 करोड़ रुपये पहुंच गई।
3. 2018 में कांग्रेस सरकार के आते ही प्रोजेक्ट पर रोक लगाई गई व जांच समिति गठित की। वर्ष 2020 में सामान्य सुझाव समिति ने स्काई वॉक का ढांचा तोड़ने पर सहमति नहीं जताई।