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संयुक्त राष्ट्र में भारत का करारा प्रहार, पाकिस्तान का कबूलनामा बना मुसीबत – अब क्या करेंगे शहबाज शरीफ?

संयुक्त राष्ट्र में भारत का करारा प्रहार, पाकिस्तान का कबूलनामा बना मुसीबत - अब क्या करेंगे शहबाज शरीफ?

UN – संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान को जमकर घेरा। भारतीय प्रतिनिधि योजना पटेल ने पाकिस्तान को आतंकवाद को पोषित करने वाला एक ऐसा ‘दुष्ट राष्ट्र’ करार दिया, जिसकी नीतियों के कारण पूरे क्षेत्र में अशांति और अस्थिरता फैली हुई है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाना और समर्थन देता रहा है, जिसका खामियाजा पड़ोसी देशों को भुगतना पड़ रहा है।

यह तीखी प्रतिक्रिया पाकिस्तान के अपने ही रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के एक हालिया साक्षात्कार के बाद आई है, जिसने राजनयिक हलकों में हलचल मचा दी है। ख्वाजा आसिफ ने अप्रत्याशित रूप से यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अतीत में आतंकवादियों का समर्थन किया और उन्हें पाला है। उनके इस कबूलनामे ने न केवल पाकिस्तान के चिरस्थायी इनकार की पोल खोल दी है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उसकी स्थिति को भी कमजोर कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन के दौरान, योजना पटेल ने ख्वाजा आसिफ के बयान का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान का यह स्वयं स्वीकारोक्ति उसकी असलियत को दुनिया के सामने लाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान का यह दोहरा रवैया – आतंकवाद का शिकार होने का दावा करना और साथ ही आतंकवादियों को शरण देना – अब और नहीं चल सकता। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह सीमा पार आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा और अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को भी दोहराया। योजना पटेल ने सभी देशों से आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करने और आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए एक खतरा है और इससे मिलकर ही निपटा जा सकता है।

अब सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस कबूलनामे और संयुक्त राष्ट्र में भारत के कड़े रुख के बाद क्या कदम उठाएंगे। क्या पाकिस्तान अपनी नीतियों में कोई बड़ा बदलाव करेगा और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षा है? या फिर वह हमेशा की तरह इनकार और बचाव का रास्ता अपनाएगा?

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान पर अब अंतर्राष्ट्रीय दबाव और भी बढ़ जाएगा। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के बाद, पाकिस्तान को यह साबित करना होगा कि वह वास्तव में आतंकवाद के खिलाफ गंभीर है। ख्वाजा आसिफ के कबूलनामे ने पाकिस्तान के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

भारत ने हमेशा आतंकवाद को एक गंभीर खतरा माना है और इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत में भी स्पष्ट रुख रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह नवीनतम हमला पाकिस्तान पर और दबाव डालेगा कि वह अपनी धरती से आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठोस और verifiable कदम उठाए। देखना यह होगा कि शहबाज शरीफ सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और क्या वह पाकिस्तान की छवि को सुधारने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए कोई निर्णायक कदम उठाती है।

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