नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हाल ही में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है, जिससे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों के किसानों को बड़ा लाभ होगा। भारत, जो वर्तमान में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, ने वर्ष 2023-24 में 23 मिलियन टन चावल का निर्यात किया, जो एक रिकॉर्ड है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 28 सितंबर को एक अधिसूचना जारी कर इस प्रतिबंध को समाप्त किया है। इस निर्णय के साथ, चावल का निर्यात मूल्य 490 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया गया है, और पारबॉइल्ड तथा ब्राउन चावल पर निर्यात शुल्क 20% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इस कदम से किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा और उन्हें चावल का निर्यात करने का मौका भी मिलेगा।
चावल उत्पादन में, पश्चिम बंगाल 146.05 लाख टन के साथ अग्रणी राज्य है, इसके बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब का स्थान है। छत्तीसगढ़, जिसे “धान का कटोरा” कहा जाता है, हर साल 78.22 लाख टन चावल का उत्पादन करता है। यहां विभिन्न किस्मों के 23,450 प्रकार के चावल उत्पादित होते हैं, जिनमें से 16 सुगंधित किस्में हैं, जो विदेशों में भी मांग में हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस निर्णय पर खुशी जताई है, कहा कि यह कदम मध्य प्रदेश के किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाने का अवसर देगा। पिछले कुछ वर्षों में, मध्य प्रदेश में 200 से अधिक नई चावल मिलें स्थापित की गई हैं, जिससे किसानों और निर्यातकों को अच्छे लाभ की उम्मीद है।
वैश्विक परिदृश्य में, भारत का चावल निर्यात 2022 में 10.76 बिलियन डॉलर रहा, जिससे यह सबसे बड़ा निर्यातक बन गया। अन्य प्रमुख निर्यातक देशों में थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका शामिल हैं, जो मिलकर 72.8% चावल का निर्यात करते हैं। किसानों के लिए इस नए निर्णय से प्रति क्विंटल चावल की कीमत 2500-2600 रुपए तक पहुंच सकती है।