दिल्ली

अमेरिका से ट्रेड डील पर भारत का दो टूक संदेश: ‘भारत कभी दबाव में काम नहीं करता, हमारी शर्तों पर होगी बात’

अमेरिका से ट्रेड डील पर भारत का दो टूक संदेश: 'भारत कभी दबाव में काम नहीं करता, हमारी शर्तों पर होगी बात'

नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर अपना स्पष्ट रुख पेश किया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी डील में तभी शामिल होगा जब उसके राष्ट्रीय हित पूरी तरह से सुरक्षित हों और उसे प्रतिस्पर्धियों पर टैरिफ में बढ़त मिले। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा निर्धारित 9 जुलाई की समय सीमा को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत व्यापार समझौतों पर कभी भी समय के दबाव में निर्णय नहीं लेता।

मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत ने कभी भी किसी व्यापार समझौते या उसके किसी हिस्से पर समय की पाबंदी या दबाव में बातचीत नहीं की है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमें अपने राष्ट्रीय हितों का ध्यान रखते हुए यह सुनिश्चित करना है कि समझौता निष्पक्ष हो, जिससे हमें अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले स्थायी लाभ प्राप्त हो सके।” सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह किसी समयसीमा के दबाव में नहीं है और अमेरिका द्वारा 9 जुलाई की निर्धारित डेडलाइन का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग 100 देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए थे, जिसमें भारत पर 26% का टैरिफ भी शामिल था। इसके बाद अमेरिका ने इन टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया था, जिसकी समय सीमा अब मंगलवार को समाप्त हो रही है।

किसानों और डेयरी क्षेत्र को लेकर सख्त रुख: व्यापार वार्ता में मुख्य बाधा कृषि और डेयरी उत्पादों से संबंधित है। अमेरिका की मांग है कि भारत मक्का, सोयाबीन और डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क में कमी करे, जबकि भारत सरकार इस पर सहमत नहीं है। गोयल ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार के लिए किसानों का हित सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि चाहे वह यूके, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, EFTA या यूएई के साथ हुए समझौते हों, हर बार भारतीय किसानों को प्राथमिकता दी गई है।

भारत चाहता है श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रियायतें: भारत ने अमेरिका से अनुरोध किया है कि वह चमड़ा, जूते-चप्पल, वस्त्र और कुछ ऑटो पार्ट्स पर शुल्क में छूट प्रदान करे। इसके बदले में, भारत अमेरिकी ऑटोमोबाइल और व्हिस्की पर कुछ टैक्स में रियायत देने पर विचार कर सकता है। इसके अलावा, भारत यह भी चाहता है कि यदि अमेरिका भविष्य में सेक्टोरल टैरिफ लागू करता है, तो उसे उन पर छूट मिले।

अमेरिका की मांगें अस्पष्ट, लेकिन भारत स्पष्ट: कुछ सरकारी अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका की मांगें अभी तक स्पष्ट नहीं हैं, जबकि भारत का दृष्टिकोण पूरी तरह से स्पष्ट है। भारत श्रम-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देने और किसानों के हितों की रक्षा पर जोर दे रहा है। गोयल ने यह भी कहा कि भारत को ऐसे व्यापारिक लाभ की आवश्यकता है जो चीन और वियतनाम जैसे देशों से बेहतर हों। अब तक अमेरिका ने केवल कुछ देशों, जैसे यूके, चीन और वियतनाम के साथ ही व्यापार समझौते किए हैं।

अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत की स्थिति: यह बयान उस समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए गहन वार्ताएँ चल रही हैं। हाल ही में, भारतीय व्यापार वार्ताकारों की एक टीम वाशिंगटन से आठ दिन की यात्रा के बाद लौटी, जहाँ उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ विस्तृत चर्चा की। हालांकि, कृषि और ऑटोमोबाइल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कुछ मुद्दे अभी भी हल नहीं हुए हैं। गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत अपने किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, और उन्होंने कहा कि किसानों का हित हमेशा मोदी सरकार के लिए सर्वोपरि रहेगा।

क्या है भारत-अमेरिका ट्रेड डील का मामला?: भारत और अमेरिका, जो कि विश्व की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं हैं, लंबे समय से एक व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। अमेरिका की मांग है कि भारत उसके कृषि उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों और अन्य वस्तुओं पर टैरिफ में कमी करे। दूसरी ओर, भारत अपने आईटी पेशेवरों के लिए वीजा नियमों में सरलता, कृषि उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच और अन्य क्षेत्रों में रियायतें चाहता है। यह वार्ता कई वर्षों से उतार-चढ़ाव का सामना कर रही है, लेकिन हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बातचीत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गई है, और भारत किसी भी निर्णय के लिए तैयार है, लेकिन अपनी शर्तों पर।

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