जोधपुर। राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर में बीएपीएस (BAPS) स्वामीनारायण मंदिर का गुरुवार को उद्घाटन किया गया। यह भव्य मंदिर अब भक्ति, शांति और सांस्कृतिक गौरव के एक नए केंद्र के रूप में स्थापित हो गया है।
दरअसल, यह मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है, जिन्होंने नैतिक जीवन और सामाजिक उत्थान का उपदेश दिया था। जोधपुर में स्थापित यह मंदिर देश का तीसरा अक्षरधाम मंदिर है। इससे पहले ये मंदिर दिल्ली और गांधीनगर में हैं। इसी के साथ, यह मंदिर दुनिया का पांचवां अक्षरधाम मंदिर बन गया है।
मंदिर की मुख्य विशेषताएं:
- प्रेरणा और निर्माण: इस पवित्र मंदिर का निर्माण प्रमुख स्वामी महाराज की प्रेरणा से हुआ, और इसका मार्गदर्शन बीएपीएस के वर्तमान गुरु महंत स्वामी महाराज के सान्निध्य में किया गया।
- वास्तुकला: मंदिर का निर्माण प्राचीन नागर शैली में किया गया है, जो 10वीं और 13वीं शताब्दी में राजस्थान और गुजरात में प्रचलित थी।
- सामग्री: इस मंदिर के निर्माण में खास तौर पर जोधपुर बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। निर्माण में लोहे या सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है।
- परिसर: जोधपुर के सूरसागर स्थित कालीबेरी क्षेत्र में स्थापित यह मंदिर परिसर कुल 42 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 10 बीघा में एक भव्य उद्यान है, जिसमें 500 से अधिक पेड़ और 5500 पौधे लगाए गए हैं।
- संरचना: मंदिर की ऊंचाई क्रमशः 191 फीट, 181 फीट और 111 फीट है। इसमें पांच शिखर, एक भव्य गुंबद और 14 छोटे गुंबद शामिल हैं।
- नीलकंठ अभिषेक मंडपम: मंदिर के अंदर नीलकंठ अभिषेक मंडपम बनाया गया है, जहाँ भगवान स्वामीनारायण की नीलकंठ वर्णी के रूप में पंचधातु की मूर्ति स्थापित है।
- निर्माण अवधि: इस मंदिर को बनाने में कुल 7 वर्षों से अधिक का समय लगा है और इसके निर्माण कार्य में 500 से अधिक कारीगरों ने अपना योगदान दिया।
यह नया अक्षरधाम मंदिर जोधपुर के लोगों के लिए आंतरिक शांति और दिव्य दर्शन का एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है।