
RAIPUR – छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में जल संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। विशेष रूप से इंद्रावती नदी के जलस्तर में लगातार हो रही गिरावट ने किसानों, आदिवासी समुदायों और आम नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने “जल-जंगल-जमीन बचाओ, इंद्रावती नदी बचाओ” के नाम से तीन दिवसीय पदयात्रा की योजना बनाई थी, लेकिन अब इस यात्रा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
इस पदयात्रा की शुरुआत बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों से होनी थी, जिसमें हजारों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता, किसान और जनप्रतिनिधि भाग लेने वाले थे। यात्रा का समापन जगदलपुर कलेक्टर कार्यालय के घेराव के साथ तय किया गया था। कांग्रेस का कहना है कि यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि जनता की आवाज को बुलंद करने का एक प्रयास था।
पार्टी ने स्पष्ट किया है कि इंद्रावती नदी की उपेक्षा अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नदी का जलस्तर कम होने से क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा बाधित हो रही है, फसलें सूख रही हैं और लोगों को पीने के पानी के लिए भी जूझना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में हालात इतने खराब हैं कि हैंडपंप और कुएं तक सूखने लगे हैं।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह केवल प्राकृतिक संकट नहीं है, बल्कि सरकारी उदासीनता का भी नतीजा है। इंद्रावती नदी के जल को दूसरी दिशा में मोड़ने की नीतियों से बस्तर के लोग प्रभावित हो रहे हैं। इसी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए यह यात्रा तय की गई थी।
हालांकि यात्रा स्थगित की गई है, लेकिन पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि इंद्रावती को बचाने के लिए वह जल्द ही एक बड़े जनांदोलन की शुरुआत करेगी। इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है और क्षेत्रीय जनता को इसमें बड़ी भूमिका निभाने के लिए जोड़ा जाएगा।