अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले : बस्तर के शिल्प बने आकर्षण का केंद्र
रायपुर नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ का पवेलियन इस बार खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
रायपुर नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ का पवेलियन इस बार खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 14 से 27 नवंबर तक चलने वाले इस मेले की थीम विकसित भारत 2047 है। छत्तीसगढ़ ने अपने पवेलियन को इस थीम के अनुरूप सजाया है, जिसमें राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, औद्योगिक प्रगति और हर्बल उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है।
स्थानीय कला और शिल्प को मिली प्रमुखता
छत्तीसगढ़ के स्टॉल में ढोकरा कला, कोसा सिल्क, बस्तर के बांस शिल्प और अन्य पारंपरिक हस्तशिल्प की झलक मिलती है। इन शिल्पों ने न केवल देशी बल्कि विदेशी आगंतुकों का भी ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही, राज्य के ग्रामोद्योग, स्वयं सहायता समूह, हैंडलूम और हर्बल उत्पादों के स्टॉल पर भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।
औद्योगिक और आर्थिक विकास का प्रदर्शनराज्य ने अपने औद्योगिक उत्पादों, विशेष आर्थिक क्षेत्रों और निवेश की संभावनाओं को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास, रोजगार सृजन और औद्योगिक निवेश में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह पवेलियन राज्य के विकास की यात्रा को दर्शाता है और देश-विदेश के निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
करमा नृत्य और सांस्कृतिक दिवस की खासियतपवेलियन का उद्घाटन छत्तीसगढ़ भवन की आवासीय आयुक्त श्रुति सिंह ने किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने करमा नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
20 नवंबर को राज्य सांस्कृतिक दिवस मनाया जाएगा, जिसमें छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार प्रदेश की समृद्ध लोककला और संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। यह आयोजन राज्य के सांस्कृतिक वैभव को उजागर करने का एक बड़ा मंच होगा।
छत्तीसगढ़ की वैश्विक पहचान
इस मेले में छत्तीसगढ़ का योगदान राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और औद्योगिक विकास को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिला रहा है। मेले में राज्य का स्टॉल न केवल व्यापारिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अपनी छाप छोड़ रहा है।