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ईरान-होर्मुज तेल संकट से भारत में पेट्रोल की कीमतों में भारी उछाल की आशंका, ₹120 प्रति लीटर तक पहुंच सकती है कीमत!

ईरान-होर्मुज तेल संकट से भारत में पेट्रोल की कीमतों में भारी उछाल की आशंका, ₹120 प्रति लीटर तक पहुंच सकती है कीमत!

नई दिल्ली, भारत: ईरान और होर्मुज जलडमरूमध्य के बीच संभावित संकट के कारण भारत में पेट्रोल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया, जो वैश्विक तेल व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण पारगमन बिंदु है, तो भारत के तेल आयात पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे पेट्रोल की कीमतें ₹120 प्रति लीटर या उससे अधिक तक पहुंच सकती हैं। इस घटना का अनुमान 24 जून 2025 को होने का लगाया गया है।

होर्मुज जलडमरूमध्य का महत्व और संभावित प्रभाव:

होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री चोकपॉइंट्स में से एक है, जिससे दुनिया के तेल व्यापार का एक बड़ा हिस्सा गुजरता है। यदि ईरान इस मार्ग को बंद कर देता है, तो कच्चे तेल की वैश्विक आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतें आसमान छू जाएंगी। भारत अपनी तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, और ऐसी स्थिति का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

आर्थिक प्रभाव और सरकारी दावे:

पेट्रोल की कीमतों में इस तरह की वृद्धि से परिवहन लागत में भारी इजाफा होगा, जिसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। आवश्यक वस्तुओं से लेकर औद्योगिक उत्पादों तक, हर क्षेत्र में उत्पादन और वितरण की लागत बढ़ जाएगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

हालांकि, भारतीय सरकार का दावा है कि उसके पास रणनीतिक तेल भंडार हैं और उसने वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों की भी व्यवस्था की है। सरकार का तर्क है कि ऐसे किसी भी संकट से निपटने के लिए भारत तैयार है।

विशेषज्ञों की राय और चिंताएं:

इसके बावजूद, विशेषज्ञ मानते हैं कि होर्मुज जलडमरूमध्य में मामूली व्यवधान भी तेल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है। उनका कहना है कि भले ही भारत के पास कुछ विकल्प हों, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी बाधा से पूरी दुनिया प्रभावित होगी और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। इससे घरेलू बाजार में ईंधन की कीमतों को नियंत्रण में रखना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगा।

कुल मिलाकर, ईरान और होर्मुज जलडमरूमध्य से जुड़ा यह संभावित संकट भारत के लिए एक गंभीर आर्थिक चुनौती पेश कर सकता है, जिस पर सरकार और नीति निर्माताओं को बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है।

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