बस्तर में जापानी बुखार का बढ़ा प्रकोप: दो संदिग्ध मौतें, 19 मामले सामने, बच्चे सर्वाधिक प्रभावित
बस्तर में जापानी बुखार का बढ़ा प्रकोप: दो संदिग्ध मौतें, 19 मामले सामने, बच्चे सर्वाधिक प्रभावित

जगदलपुर, छत्तीसगढ़: बस्तर संभाग में जापानी इंसेफेलाइटिस (जापानी बुखार) के मामलों में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस वर्ष जनवरी से लेकर जुलाई मध्य तक संभाग में जापानी बुखार के कुल 19 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं, जबकि दो संदिग्ध मौतों की भी खबर है, जिनकी अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।
मामलों की वर्तमान स्थिति: स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में बस्तर जिले में सर्वाधिक 13 मामले सामने आए हैं। इसके अतिरिक्त, बीजापुर जिले में 3 और अन्य जिलों में 3 मरीज इस बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। दुखद बात यह है कि लोहंडीगुड़ा और केसूलर क्षेत्रों में दो व्यक्तियों की कथित तौर पर इस बीमारी से मौत हो चुकी है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी लंबित है।
बच्चों पर अधिक असर: विशेषज्ञों के अनुसार, जापानी बुखार का बच्चों पर अधिक गंभीर प्रभाव पड़ता है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरुप साहू ने बताया कि यह बीमारी बच्चों में अधिक विकराल रूप ले लेती है। पूर्व के आंकड़ों पर गौर करें तो, 2018-2019 में जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित 94% मरीज 16 वर्ष से कम आयु के थे। 2019 में भी डिमरापाल अस्पताल में 4 वर्षीय बच्चे की इस बुखार से मौत हो गई थी। वर्तमान प्रकोप में भी बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की जानकारी है।
स्वास्थ्य विभाग की चुनौतियां और उपाय: बस्तर में जापानी बुखार का इतिहास पुराना रहा है। वर्ष 2016-17 में जहां सुकमा में 7 मामले और 3 मौतें हुईं, वहीं बस्तर में कोई मामला नहीं था। लेकिन 2017 में बस्तर में 4, दंतेवाड़ा में 6 और सुकमा में 2 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2023-24 में 30 मामले और 3 मौतें रिकॉर्ड की गईं, जो इस बीमारी की गंभीरता को दर्शाती है।
स्वास्थ्य विभाग ने डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई है। संभावित प्रकोप वाले क्षेत्रों में एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग ने जनता से अपील की है कि वे स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें, मच्छरों से बचाव के लिए आवश्यक उपाय करें और बच्चों में इस बीमारी के कोई भी लक्षण दिखने पर तत्काल उन्हें अस्पताल ले जाएं। समय पर उपचार से जान बचाई जा सकती है।