झारखंड : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन, जिन्हें उनके समर्थक प्यार से ‘दिशोम गुरु’ कहते थे, का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने 4 जुलाई को दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे पिछले एक महीने से किडनी संक्रमण और ब्रोंकाइटिस के कारण जीवन रक्षक प्रणाली पर थे।
शिबू सोरेन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में अपने पिता शोभाराम सोरेन की हत्या के बाद राजनीति में कदम रखा। उनके पिता की हत्या सूदखोरों ने की थी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और सूदखोरों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। 1970 में उन्होंने ‘धान कटनी आंदोलन’ की शुरुआत की।
1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता से प्रेरित होकर, शिबू सोरेन ने अपने साथियों ए.के. रॉय और विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर 4 फरवरी 1972 को ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ (झामुमो) नामक एक राजनीतिक दल का गठन किया। इस संगठन ने अलग झारखंड राज्य की मांग को तेज किया, जो अंततः वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर बना।
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
- पहला कार्यकाल (2005): वे 10 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
- दूसरा कार्यकाल (2008): यह कार्यकाल पांच महीने का था। तमाड़ उपचुनाव हारने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
- तीसरा कार्यकाल (2009): यह भी पांच महीने तक चला। कुल मिलाकर, उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में केवल 10 महीने और 10 दिन ही सेवा दी। इसके अलावा, वे यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे, लेकिन एक मुकदमे के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।