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कश्मीर से पंजाब तक: अमेरिकी हथियारों से हो रहे देश में हमले, जानिए आतंकियों को कौन बेच रहा ‘मौत’ का सामान

नई दिल्ली: हाल ही में पंजाब पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सीमा पार से हथियारों की तस्करी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में पुलिस ने एक कार से नाटो सेना के लिए बने चार ग्लॉक 19 पिस्तौल, मैगजीन, जिंदा कारतूस और हवाला की रकम बरामद की है। इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से ऐसे ही हथियार बरामद हो चुके हैं।

नाटो के हथियारों से हो रहे देश में हमले

नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) अपने सदस्यों को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण प्रदान करता है, ताकि वे अपनी रक्षा को मजबूत कर सकें। लेकिन अब ये हथियार आतंकियों के हाथ लग रहे हैं। हाल ही में पंजाब पुलिस ने एक कार से नाटो के चार ग्लॉक 19 पिस्तौल बरामद किए, जिनमें से एक पर ‘मेड फॉर नाटो आर्मी’ लिखा था। इसके साथ ही चार मैगजीन, सात जिंदा कारतूस और 4.8 लाख रुपये की हवाला राशि भी मिली। यह पहली बार नहीं है कि नाटो के हथियार आतंकियों के पास पाए गए हैं। जम्मू और कश्मीर में भी इसी तरह के हथियार आतंकवादियों से मिले हैं।

आतंकियों तक कैसे पहुंचे नाटो के हथियार

अमेरिकी सेना द्वारा 2021 में अफगानिस्तान से हड़बड़ी में वापसी के दौरान काफी सैन्य उपकरण छोड़ दिए गए थे। तालिबान ने इन हथियारों को जब्त कर लिया और उन्हें आतंकवादी संगठनों को बेच दिया। अमेरिकी रक्षा विभाग ने बताया कि तालिबान ने 7.12 बिलियन डॉलर के अमेरिकी हथियारों को कब्जे में लिया। इन हथियारों का उपयोग जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ कर रहे हैं।

देश के लिए खतरा बन रहे नाटो के हथियार

हाल ही में मई 2024 में कश्मीर में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर बम हमले में नाटो के एक नए प्रकार के हथियार का उपयोग हुआ। इस हमले में चार तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 24 लोग घायल हुए। रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में ‘चिपचिपा बम’ का इस्तेमाल किया गया, जो आमतौर पर अफगानिस्तान में नाटो बलों के खिलाफ इस्तेमाल होता था।

अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों का इस्तेमाल

फरवरी 2023 में भारतीय सेना के मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने स्वीकार किया कि अफगानिस्तान से कश्मीर पहुंचे उच्च तकनीक वाले अमेरिकी हथियारों में नाइट-विजन उपकरण शामिल थे। उन्होंने कहा कि ये हथियार और उपकरण अमेरिकी सेना द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए थे, जिनका इस्तेमाल आतंकवादी कश्मीर में कर रहे हैं।

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