चुप रहो, मैं तुम्हें लेक्चर दूंगा; भारतीय मूल के इस राष्ट्रपति ने दिया ऐसा जवाब, हो रही जमकर तारीफ…
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गुयाना के भारतीय मूल के राष्ट्रपति इरफान अली का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इस वीडियो में वह पर्यावरण के मुद्दे पर एक पश्चिमी मीडियाहाउस के पत्रकार को इंटरव्यू दे रहे हैं। इसी बीच पत्रकार के सवाल पर वह कहते हैं कि पश्चिम को पर्यावरण के बारे में लेक्चर देने की जरूरत नहीं है। अब आप सुनिए, इस मुद्दे पर मैं लेक्चर दूंगा।
राष्ट्रपति इरफान अली से पत्रकार ने हाल ही में खोजे गए तेल के बड़े भंडार और तेल निकालने को लेकर सवाल किया। पत्रकार ने कहा कि, आने वाले दोशकों में लगभग 150 अरब डॉलर का तेल निकाले जाने की संभावना है।
यह एक बड़ा फिगर है। इसका मतलब हुआ कि वहां पर बहुत ज्यादा कार्बन एमिशन भी होने वाला है। इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इसके बाद राष्ट्रपति इरफान अली ने कहा, क्या आपको हमें लेक्चर देने का अधिकार है। आप कौन होते हैं हमें लेक्चर देने वाले। इस मामले में मैं आपको लेक्चर देता हूं।
क्या आप उन लोगों के लिए काम करते हैं जिन्होंने औद्योगिक क्रांति के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया। मैं आपको रोकता हूं।
आप जानते हैं को गुयाना के पास इतना वन क्षेत्र है जितना इंग्लैंड और स्कॉटलैंड का कुल एरिया है। एक ऐसा वन है जो कि 19.5 गीगाटन कार्बन स्टोर करता है और हमने वह वन बचाकर रखा है।
इसके बाद रिपोर्टर ने कहा कि क्या इस बात से गुयाना को मनमर्जी कार्बन उत्सर्जित करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपित ने कहा, क्या आपको हमें लेक्चर देने का अधिकार मिल जाता है? हमने जो जंगल बचाए हैं उनका आनंद आप और पूरी दुनिया ले रही है।
उन्होंने कहा, गुयाना में दुनिया में सबसे कम जंगल काटे जाते हैं। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम के उत्पादन के बाद भी गुयाना नेट जीरो कार्बन वाला देश बना रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जंगलों के लिए पश्चिमी देशों को भुगतान करना चाहिए। उन्होंने कहा, बीती आधी सदी में दुनिया ने आधे से ज्यादा जैव विविधता खत्म करदी। हमने अपने पर्यावरण को बरकरार रखा है। आप कौन होते हैं इसका मूल्यांकन करने वाले। क्या हमने जो पर्यावरण कि रक्षा की है विकसित देश उसकी कीमत चुकाएंगे।
उन्होने कहा, जब विकासशील देश गैस और तेल का भंडार खोजते हैं तो पश्चिमी देश परेशान होने लगते हैं। बता दें कि गुयाना के राष्ट्रपति ने रिपोर्टर को बोलने ही नहीं दिया। उनके तर्कों के आगे रिपोर्टर निढाल लग रहे थे।