देश

हरियाणा की ‘खाप पॉलिटिक्स’

हरियाणा की राजनीति में खाप पंचायतें एक अहम भूमिका निभाती हैं, खासकर चुनावों में। खापें एक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था हैं, जिनका प्रभाव खासकर जाट समुदाय और ग्रामीण इलाकों में देखा जाता है।

हरियाणा की राजनीति में खाप पंचायतें एक अहम भूमिका निभाती हैं, खासकर चुनावों में। खापें एक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था हैं, जिनका प्रभाव खासकर जाट समुदाय और ग्रामीण इलाकों में देखा जाता है। खाप का समर्थन कभी जीत की गारंटी माना जाता था, लेकिन 2014 के चुनावों के बाद इसका प्रभाव कम हुआ। हालाँकि, हालिया लोकसभा चुनाव में खापों ने फिर से अपनी शक्ति दिखाई है, खासकर बीजेपी और जेजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शित कर।

खाप पॉलिटिक्स की संरचना

खाप एक गोत्र या बिरादरी के समूह का संगठन होता है। यह कई गांवों को मिलाकर बनती है और इनका उद्देश्य गांव-समाज के विवादों को सुलझाना और सामूहिक फैसले लेना होता है। खापों के फैसले अंतिम माने जाते हैं और इसका पालन करना अनिवार्य होता है। जब कोई बड़ा मुद्दा आता है, तब सभी खापें मिलकर “सर्वखाप” का गठन करती हैं, जिसका निर्णय सभी खाप मानती हैं।

हरियाणा में कितनी खाप हैं और इनके प्रमुख चेहरे

हरियाणा में कई महत्वपूर्ण खापें हैं, जो चुनावी राजनीति में भी अहम भूमिका निभाती हैं। इनमें प्रमुख हैं:

1. 360 खाप महरौली- इस खाप के प्रमुख गोवर्धन सिंह हैं, जो बेरी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

2. अहलावत खाप- इस खाप से सोनू अहलावत और अमित अहलावत जुड़े हैं, जो बेरी सीट से चुनाव मैदान में हैं। इस खाप का प्रभाव जाट समुदाय में काफी अधिक है।

3. पालवा खाप – आजाद पालवा इस खाप से जुड़े हैं और चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं। यह खाप भी जाट राजनीति में मजबूत पकड़ रखती है।

चुनावी खेल पर असर

हरियाणा की चुनावी राजनीति में खापों का समर्थन बहुत मायने रखता है, क्योंकि जाट वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा इन खापों के निर्देशों का पालन करता है। हाल ही में, खापों ने बीजेपी और जेजेपी के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में इन पार्टियों की स्थिति कमजोर हो सकती है। खापें सामूहिक रूप से एक राजनीतिक दल या उम्मीदवार को समर्थन दे सकती हैं, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है।

खाप पॉलिटिक्स की भूमिका

1.सामाजिक विवादों का हल: खापें सामाजिक और राजनीतिक विवादों को हल करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
2. चुनावी दिशा: खापों का समर्थन चुनावी दिशा तय करने में मदद करता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
3. सामूहिक निर्णय: सर्वखाप द्वारा लिए गए फैसले पूरे खाप समुदाय के लिए मान्य होते हैं और इसका पालन करना आवश्यक होता         है।

हरियाणा में खापों का राजनीतिक प्रभाव चुनावों में बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। खापें चुनावी नतीजों को बदलने की क्षमता रखती हैं, खासकर जाट बहुल क्षेत्रों में।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button