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पहले गैंगरेप, फिर एसिड अटैक और मौत: 42 साल पहले कूचबिहार का वो जघन्य रेप कांड, जिसकी पीड़िता को अब तक नहीं मिला न्याय

42 साल पहले कूचबिहार में घटित हुए उस जघन्य रेप कांड की यादें आज भी ताजे हैं, जिसने पीड़िता की चीखों को अनसुना छोड़ दिया। उस समय से अब तक कितनी बार बारिश का मौसम आया और चला गया, लेकिन न्याय की राह पर धूल चढ़ी ही रही।

नई दिल्ली: कूचबिहार की वो दर्दनाक घटना, जिसमें 1982 में एक युवती के साथ बर्बरता की गई, आज भी एक काले अध्याय के रूप में याद की जाती है। बारिश की रात में घटी उस घटना ने पूरे शहर को हिला दिया था, लेकिन न्याय का पंख अभी भी अधूरा है।

घटना की पृष्ठभूमि

जून 1982 में, जब पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु की सरकार सत्ता में थी, कूचबिहार एक छोटे शहर के रूप में जाना जाता था। इसी समय, उत्तरी बंगाल के बलूरघाट से एक युवती कूचबिहार में स्टाफ नर्स के रूप में काम करने आई। उसी रात मूसलधार बारिश के बीच, युवती को जघन्य अत्याचार का सामना करना पड़ा।

उस रात की भयावहता

युवती को एसिड से जलाया गया था और उसकी चीखें बारिश की तेज आवाज में दब गई थीं। नग्न और अधमरी हालत में उसे महाराजा जितेंद्र नारायण अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

न्याय की प्रक्रिया

स्थानीय लोगों के आक्रोश के बावजूद, न्याय की प्रक्रिया बहुत धीमी रही। दस लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उनमें से कुछ को जमानत मिल गई और अन्य को छोड़ दिया गया। मुख्य आरोपी, जो कथित रूप से प्रभावशाली थे, ने न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित किया।

आज का परिदृश्य

42 वर्षों में कूचबिहार ने कई सरकारें देखी हैं और शहर की स्थिति में सुधार के कई प्रयास हुए हैं। लेकिन उस रात की यादें और न्याय की प्रतीक्षा आज भी बनी हुई है।

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