
RAIPUR NEWS – छत्तीसगढ़ के आरंग विकासखंड के ग्राम गोइंदा,निसदा में भारतमाला परियोजना के तहत प्रस्तावित रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को लेकर किसानों में असंतोष व्याप्त है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने मुआवजे के वितरण में भेदभाव किया है, जिससे वे नाराज हैं।
किसानों का कहना है कि इस बड़े प्रोजेक्ट में दुर्ग और राजनांदगांव के किसानों को उनकी भूमि के बदले चार गुना मुआवजा दिया गया है, जबकि गोइंदा निसदा के किसानों को अपेक्षाकृत कम मुआवजा मिला है। इस असमानता के कारण किसानों ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
आरंग तहसीलदार सीता शुक्ला, थाना प्रभारी राजेश सिंह और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर किसानों को समझाने का प्रयास किया। इसके बाद किसान अपनी समस्याओं को उच्चाधिकारियों के समक्ष रखने के लिए रायपुर रवाना हो गए। इस बीच, पुलिस बल की मौजूदगी में खेतों का समतलीकरण कार्य जारी रहा।
यह समस्या केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है; देश के अन्य हिस्सों में भी भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजे को लेकर किसानों में असंतोष देखा गया है। पंजाब के बरनाला जिले के भदौड़ में किसानों ने मुआवजे की राशि को बाजार मूल्य के अनुसार बढ़ाने की मांग को लेकर पांच दिनों तक धरना दिया। किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने पुलिस बल की मदद से उनकी भूमि का जबरन अधिग्रहण किया और उनकी गेहूं की फसल को नष्ट कर दिया।
बठिंडा के दूनेवाला गांव में भी मुआवजे में बड़े अंतर को लेकर किसानों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हुआ। किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें उनकी भूमि के उचित मूल्य का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है, जिससे वे नाराज हैं।
झारखंड के रामगढ़ जिले में भी भारतमाला परियोजना के तहत अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को लेकर किसानों में असंतोष है। गोला प्रखंड के लिपीया गांव के किसानों ने कम मुआवजे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उचित मुआवजा मिलने तक भूमि नहीं देने की बात कही।
बिहार के फतुहा प्रखंड के भेडगावां गांव में भी किसानों ने मुआवजे की कमी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। किसानों का कहना है कि अधिग्रहित भूमि के बदले उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
इन सभी घटनाओं से स्पष्ट होता है कि भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजे को लेकर किसानों में व्यापक असंतोष है। किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी भूमि का उचित और बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजा दिया जाए, ताकि उनकी आजीविका प्रभावित न हो और वे विकास कार्यों में सहयोग कर सकें।