ऋण पुस्तिका अनिवार्यता समाप्त: जमीन खरीदी‑बिक्री में बदलाव का ऐतिहासिक कदम

ऑनलाइन राजस्व अभिलेख लागू: ऋण पुस्तिका अनिवार्यता समाप्त होने की नई सुबह

ऋण पुस्तिका अनिवार्यता समाप्त होते ही जमीन खरीदी‑बिक्री का पुराना बंधन टूट गया है। इस कदम से आम किसानों और भूमि व्यापारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार ने यह कदम डिजिटल राजस्व रिकॉर्ड और ऑनलाइन अभिलेख व्यवस्था को आधार बनाकर उठाया है।

H2: ऋण पुस्तिका अनिवार्यता समाप्त – क्या बदला है नियम?

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी पंजीयन कार्यालयों को निर्देश जारी कर दिया है कि अब जमीन खरीदी‑बिक्री के समय ऋण पुस्तिका अनिवार्यता समाप्त की जाए।
राजस्व अभिलेख अब ऑनलाइन राजस्व अभिलेख प्रणाली में अपडेट होंगे और पंजीयन प्रणाली को भुईयां पोर्टल के डाटा से मिलान करना अनिवार्य होगा।
इस बदलाव से दस्तावेजों की मांग और देरी दोनों कम होंगी। साथ ही, अब पंजीयन अधिकारियों को लेन-देन के समय ऋण पुस्तिका की जांच की अनिवार्यता नहीं होगी।

H3: ऑनलाइन राजस्व अभिलेख कैसे बनेंगे भरोसे का आधार

इस नए व्यवस्था में ऑनलाइन राजस्व अभिलेख ही जमीन का मुख्य रिकॉर्ड होंगे।
जब कोई ग्राहक पंजीयन कराएगा, तो सिस्टम भुईयां पोर्टल के डाटा से सत्यापन करेगा। यदि रिकॉर्ड मिल जाए, तो पंजीयन तुरंत संभव होगा।
इसके पहले, भौतिक ऋण पुस्तिका पर भरोसा होना आवश्यक था, जिससे कई लेन-देन अटक जाते थे।
अब सरकार ने यह प्रावधान रखा है कि पत्राचार या दस्तावेज जमा करते समय ऋण पुस्तिका नहीं मांगी जाए

H4: जमीन खरीदी‑बिक्री पर असर और जनता की राय

इस निर्णय से कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं:

  • कार्रवाई में तेजी — अब दस्तावेजों की जांच-प्रमाणन में देरी कम होगी।
  • लंबित लेन-देन खुलेंगे — वे जो लंबित पड़े हैं, उन्हें आगे बढ़ना आसान होगा।
  • भरोसा बढ़ेगा — ऑनलाइन अभिलेखों पर पारदर्शिता से भ्रष्टाचार कम हो सकता है।
  • क्रेता-संपत्ति सुरक्षा — धोखाधड़ी की संभावनाएँ कम होंगी, लेकिन सत्यापन और सावधानी अभी भी जरूरी है।

जबकि अधिकांश लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, कुछ दलों और विशेषज्ञों ने यह चिंता जताई है कि ऑनलाइन अभिलेख असमय अपडेट हों, या पुरानी दुर्भाग्यपूर्ण रिकॉर्ड से विवाद बढ़े।

अनमोल पृष्ठभूमि: पुराना नियम, समस्या और प्रेरणा

पहले कृषि भूमि पर लेन‑देन के समय ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता थी। यह पुस्तिका राजस्व अभिलेख, ऋण रिकॉर्ड इत्यादि दर्ज करती थी। लेकिन, कई जगहों पर ऋण पुस्तिका समय पर नहीं मिलती, या मैनुअल त्रुटियाँ होती थीं।
किसानों और खरीदारों को दस्तावेजों में बाधा आती थी। छत्तीसगढ़ की सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए डिजिटल राजस्व डाटा और ऑनलाइन मिलान तंत्र को आधार बनाया।

इसी तरह, अन्य राज्यों में भी जमीन रजिस्ट्रेशन नियमों में सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उदाहरणतः

  • “117 साल पुराने नियम होंगे खत्म, ऑनलाइन रजिस्ट्री की तैयारी” शीर्षक से खबरें हैं कि केंद्र सरकार भूमि रिकॉर्ड सिस्टम को पूरे देश में सुधारने की तैयारी में है।
  • महाराष्ट्र में Class 2 भूमि को गिरवी रखने की अनुमति सरकार ने जारी की है, ताकि किसानों को लोन लेने में आसानी हो।

इस तरह, पूरे देश में ज़मीन संबंधी कानूनों में बदलाव की लहर देखने को मिल रही है।

मुख्य चुनौतियाँ और सावधानियाँ

यह निर्णय सरल लगता है, पर इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं:

  1. डाटा त्रुटि
    पुराने अभिलेखों में गलतियां या अधूरे रिकॉर्ड हो सकते हैं। यदि ऑनलाइन प्रणाली में यह त्रुटि रह जाए, तो विवाद और बढ़ेंगे।
  2. तकनीकी समस्या
    इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने वाली ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रणाली का उपयोग कठिन हो सकता है।
  3. मानव हस्तक्षेप
    पंजीयन अधिकारी और राजस्व अधिकारी अगर गलत डाटा दर्ज करें, तो लेन-देन प्रभावित होगा।
  4. बहस और विरोध
    कुछ दलों का मानना है कि यह निर्णय अधूरा हो सकता है यदि रियल-टाइम अपडेट नहीं हो।

तथ्यों पर नजर रखें और लेन-देन करते समय खुद सेल्फ वेरिफिकेशन, पहचान, रिकॉर्ड मिलान अवश्य करें।

निष्कर्ष

ऋण पुस्तिका अनिवार्यता समाप्त करने का यह कदम जमीन खरीदी‑बिक्री को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।


यह गैरज़रूरी दफ्तरी बाधाओं को हटाकर जनता को राहत देगा।
हालाँकि, इसे सफल बनाने के लिए तकनीकी स्थिरता, डाटा सत्यापन, लोक जागरूकता और निगरानी आवश्यक है।
आगे आने वाले समय में देखें क्या अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाते हैं और पूरे देश में भूमि कारोबार में सुधार की लहर आती है या नहीं।

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