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महासमुंद से बारनवापारा तक: प्रवासी बाघ ने बनाया स्थायी ठिकाना, सुरक्षा और बाघ संरक्षण योजनाओं पर जोर

 महासमुंद के रास्ते बारनवापारा वनमंडल पहुंचे प्रवासी बाघ ने अब इस क्षेत्र को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है।

महासमुंद/बलौदाबाजार   महासमुंद के रास्ते बारनवापारा वनमंडल पहुंचे प्रवासी बाघ ने अब इस क्षेत्र को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है। यह बाघ करीब 300 किलोमीटर की परिधि में बारनवापारा अभयारण्य और वन विकास निगम के जंगलों में विचरण कर रहा है। वन विभाग और एनजीओ की टीमें इसकी सुरक्षा और निगरानी के लिए विशेष अभियान चला रही हैं।

बाघ की सुरक्षा पर विशेष ध्यान

कोरिया में बाघ के जहर देकर मारे जाने की घटना के बाद, वन विभाग इस बार किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता। महासमुंद और बलौदाबाजार वनमंडल के डीएफओ और एसडीओ की अगुवाई में *एंटी स्नेयर ऑपरेशन* लगातार चल रहा है। मॉनिटरिंग टीमें दिन-रात जंगल की तलाशी लेकर शिकारियों द्वारा लगाए गए जालों को निष्क्रिय कर रही हैं।

जंगल में बाघ का भोजन और जीवनशैली

बारनवापारा के जंगल में चीतल और जंगली सुअरों की प्रचुरता है, जो बाघ के भोजन का मुख्य स्रोत हैं। मॉनिटरिंग टीम को कई स्थानों पर बाघ द्वारा शिकार किए गए चीतल और जंगली सुअरों के अवशेष मिले हैं। यह पुष्टि करता है कि बाघ इस जंगल में अपने जीवन के अनुकूल वातावरण पा रहा है।

बाघ का स्थायी क्षेत्र निर्धारण

बारनवापारा में बाघ ने अपने लिए कुछ स्थायी स्थान चुन लिए हैं। टीम को मॉनिटरिंग के दौरान बाघ के पगमार्क और स्टूल कई बार मिले हैं, जिससे यह पता चलता है कि बाघ नियमित रूप से इन स्थानों पर आता है। उसने आराम करने के लिए जंगल के भीतर कई मांद भी बना रखी हैं।

टाइग्रेस लाने की योजना: कुनबा बढ़ाने का प्रयास

वन विभाग ने एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) के साथ चर्चा कर बारिश के बाद इस क्षेत्र में मादा बाघ लाने की योजना बनाई है। मादा बाघ लाने से बाघों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बारनवापारा और उसके आसपास के जंगल (महासमुंद, गोमर्डा) बाघों के लिए अनुकूल हैं। इससे क्षेत्र में नए बाघों के लिए भी संभावनाएं बढ़ेंगी।

सुरक्षा और संरक्षण: चुनौती और समाधान

1. सुरक्षा बढ़ाने के लिए एंटी-स्नेयर ऑपरेशन: एनजीओ और वन विभाग की टीम मिलकर दिन-रात गश्त कर रही हैं।
2. स्थायी मॉनिटरिंग: बाघ की गतिविधियों पर नियमित नजर रखी जा रही है।
3. समन्वित प्रयास: टाइग्रेस लाने और क्षेत्र में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र जैसे राज्यों से संपर्क किया गया है।

बारनवापारा का भविष्य: बाघ संरक्षण में नई संभावनाएं

बाघों की संख्या बढ़ने से न केवल बारनवापारा, बल्कि महासमुंद, सारंगढ़-बिलाईगढ़, और गोमर्डा वनमंडल को भी फायदा होगा। बाघ नए टेरिटरी की तलाश में आसपास के इलाकों में फैलेगा, जिससे जंगल का पारिस्थितिक संतुलन मजबूत होगा।

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