वन विभाग की बड़ी पहल: “महुआ बचाओ अभियान” के तहत डीएफओ द्वारा चलाया जा रहा वृक्षारोपण
मनेन्द्रगढ़ में महुआ के पौधों की बेतहाशा वृद्धि
मनेन्द्रगढ़, छत्तीसगढ़ – वन विभाग ने मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है, जिसे “महुआ बचाओ अभियान” नाम दिया गया है। इस अभियान के तहत, गांवों की खाली पड़ी जमीन और खेतों में महुआ के पौधे लगाए जा रहे हैं। वन विभाग द्वारा अब तक 30,000 महुआ के पौधे लगाये जा चुके हैं, और इनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड का उपयोग किया जा रहा है।
महुआ की महत्वता और इसकी स्थिति
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, महुआ के पेड़ 10 वर्षों में परिपक्व हो जाते हैं। एक परिपक्व महुआ के पेड़ से आदिवासी परिवार औसतन 2 क्विंटल फूल और 50 किलो बीज प्राप्त कर लेते हैं, जिसकी कुल कीमत लगभग 10 हजार रुपये होती है। महुआ का यह योगदान न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है।
“महुआ बचाओ अभियान” का उद्देश्य
डीएफओ ने कहा कि महुआ के पेड़ों की घटती संख्या एक गंभीर चिंता का विषय है। मुख्य समस्या इनकी पुनरुत्पादन की है। जबकि जंगल में महुआ की कमी नहीं है, लेकिन गांवों में महुआ के पेड़ों की स्थिति चिंताजनक है। बस्तर और सरगुज़ा के गांवों में बड़े महुआ के पेड़ ही नजर आते हैं, जबकि छोटे और मध्यम आयु के पेड़ बहुत ही कम हैं।
खेतों में आग और महुआ की स्थिति
डीएफओ ने बताया कि ग्रामीण महुआ संग्रहण से पहले जमीन को साफ करने के लिए आग लगाते हैं, जिससे महुआ के पौधे जीवित नहीं रहते हैं। इसके अलावा, ग्रामीण महुआ के सभी बीजों को भी संग्रहित कर लेते हैं, जिससे महुआ की संख्या और भी कम हो जाती है। छत्तीसगढ़ में महुआ के पेड़ बूढ़े हो रहे हैं और इनकी औसत आयु 60 वर्ष है। यदि जंगल के बाहर इनकी पुनरुत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये पेड़ जल्द ही समाप्त हो सकते हैं।