मुत्ताकी-जयशंकर की मुलाकात: भारत ने कहा- अफगानिस्तान की संप्रभुता का करते हैं सम्मान, काबुल में दोबारा दूतावास खोलने का ऐलान; मुत्ताकी ने इंडिया को कहा घनिष्ठ मित्र

नई दिल्ली: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मिले। अशरफ गनी सरकार के पतन के चार साल बाद भारत और तालिबान शासन के बीच यह मुलाकात उच्च-स्तरीय संपर्क का एक बड़ा संकेत है। जयशंकर ने मुत्ताकी के आगमन को भारत-अफगानिस्तान संबंधों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

भारत ने काबुल में दूतावास खोलने का किया ऐलान

बैठक के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर ने एक बड़ी राजनयिक घोषणा करते हुए कहा कि काबुल स्थित भारत के तकनीकी मिशन को अब भारतीय दूतावास (Embassy of India) के स्तर पर उन्नत किया जा रहा है।

जयशंकर ने अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता दोहराई। भारत का रुख स्पष्ट है कि अफगान लोगों का भविष्य उन्हें ही तय करना चाहिए।

भारत की ओर से मानवीय सहायता और परियोजनाएं

  • मानवीय सहायता: जयशंकर ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद अफगानिस्तान द्वारा दिखाई गई एकजुटता और भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता की सराहना की।
  • नई परियोजनाएं: भारत ने छह नई परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
  • चिकित्सा सहायता: भारत सद्भावना के तौर पर 20 एम्बुलेंस उपहार में देगा और अफगान अस्पतालों को एमआरआई व सीटी स्कैन मशीनें भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, टीकाकरण और कैंसर की दवाइयाँ भी पहुंचाई जाएंगी।
  • आतंकवाद पर सहयोग: दोनों देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के लिए प्रयासों का समन्वय करने और क्षेत्रीय सुरक्षा पर एक साथ काम करने पर सहमति जताई।

मुत्ताकी ने भारत को बताया ‘घनिष्ठ मित्र’

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने दिल्ली आकर खुशी व्यक्त की और कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच समझ बढ़ेगी। उन्होंने भारत को ‘करीबी दोस्त’ बताते हुए कहा कि अमेरिकी कब्जे के दौरान कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन अफगानिस्तान ने कभी भारत के खिलाफ बयान नहीं दिया।

मुत्ताकी ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान किसी भी सैन्य बल या समूह को अपनी जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ करने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने बीते चार साल में अफगानिस्तान में आए भूकंप के बाद भारत की मदद के लिए आभार जताया। उनका कहना था कि मुश्किल समय में भारत अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहता है और दोनों देशों को आपसी संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ाने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *