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भारत की भूमिका से मॉरीशस को मिला चागोस द्वीप: 50 साल बाद मिला अधिकार, पीएम प्रविंद जुगनाथ ने जताया आभार

मॉरीशस को ब्रिटेन से 50 साल बाद चागोस द्वीप समूह पर अधिकार मिल गया है। इस ऐतिहासिक फैसले में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिसके लिए मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। जुगनाथ ने सोशल मीडिया पर इस बारे में लिखा कि उपनिवेशवाद के खिलाफ इस संघर्ष में भारत और अन्य साझेदार देशों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं था।

चागोस द्वीप विवाद: 50 साल का संघर्ष

चागोस द्वीप पर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच विवाद 1968 से चला आ रहा था, जब मॉरीशस को स्वतंत्रता मिली, लेकिन ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह पर अपना कब्जा बनाए रखा। यह द्वीप सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां ब्रिटेन और अमेरिका का संयुक्त सैन्य अड्डा स्थित है।

भारत की मध्यस्थता से हुआ समझौता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने लंबे समय तक इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाई। अंततः, 2024 में एक ऐतिहासिक समझौते के तहत चागोस द्वीपों का स्वामित्व मॉरीशस को सौंपने का निर्णय लिया गया, हालांकि ब्रिटेन और अमेरिका का सैन्य अड्डा अगले 99 वर्षों तक यहां रहेगा।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन और भारत का अहम योगदान

चागोस विवाद में भारत ने मॉरीशस के पक्ष में कई मंचों पर समर्थन दिया। 2017 में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें भारत सहित 94 देशों ने मॉरीशस के पक्ष में मतदान किया। 2019 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भी मॉरीशस के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे इस विवाद का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटारा हुआ।

डिएगो गार्सिया पर अमेरिकी सैन्य बेस

डिएगो गार्सिया, जो चागोस द्वीप समूह का हिस्सा है, पर 1966 में अमेरिका ने ब्रिटेन से 50 साल के लिए लीज़ पर एक सैन्य अड्डा स्थापित किया था। इस लीज़ को 2016 में 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया। यह बेस सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके कारण स्थानीय निवासियों को अपने घर छोड़ने पड़े थे।

बोरिस जॉनसन का विरोध और ब्रिटेन-मॉरीशस की वार्ता

हालांकि 2022 में ब्रिटिश सरकार ने मॉरीशस से बातचीत शुरू की थी, लेकिन उस समय के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस फैसले का विरोध किया था। जॉनसन की चिंता थी कि अगर द्वीप मॉरीशस को सौंपा गया, तो वहां चीन अपना सैन्य अड्डा बना सकता है। इसके बावजूद, बातचीत सफल रही और अब मॉरीशस को उसका अधिकार मिल गया है।

इस समझौते के बाद, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया है, जिससे मॉरीशस के लिए यह ऐतिहासिक जीत संभव हो सकी।

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