छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम संशोधन विधेयक पर बघेल-साव के बीच सियासी घमासान
नगर पालिका निगम संशोधन विधेयक को लेकर भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम अरुण साव के बीच तीखी बहस, विधेयक पर उठे सवाल के बारे में जानें।
रायपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम संशोधन विधेयक को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। इस विधेयक पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गंभीर सवाल उठाए हैं, जबकि डिप्टी सीएम अरुण साव ने उनके खिलाफ तीखा पलटवार किया है। इस मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
डिप्टी सीएम अरुण साव का पलटवार
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान के बाद डिप्टी सीएम अरुण साव ने अपनी वकालत के ज्ञान पर उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया दी। साव ने कहा, “भूपेश बघेल की टिप्पणी न केवल मेरी वकालत की डिग्री पर सवाल उठाने वाली है, बल्कि यह पूरे बार काउंसिल और लाखों वकीलों का अपमान है। उन्होंने राज्य के अधिवक्ताओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।”
साव ने इस मामले को व्यक्तिगत टिप्पणी करार देते हुए बघेल को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि राजनीति में इस तरह की व्यक्तिगत हमले शोभा नहीं देते और यह न केवल उनके, बल्कि पूरी वकालत बिरादरी के लिए अपमानजनक है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से डिप्टी सीएम अरुण साव के वकालत के ज्ञान पर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा, “संविधान में 73वें और 74वें संशोधन में कहीं भी पंचायत या निकाय के कार्यकाल को बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। अरुण साव जी ने असंवैधानिक विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया है, जिस पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।”
विधेयक पर विवाद और राजनीतिक आरोप
यह नगर पालिका निगम संशोधन विधेयक राज्य के नगर निगमों और पंचायतों के कार्यकाल में बदलाव के लिए लाया गया है। बघेल ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है, जबकि साव का कहना है कि यह विधेयक राज्य के विकास के हित में है। इस विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर न होने को लेकर भी सियासी बयानबाजी हो रही है।
राजनीतिक परिपेक्ष्य
छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस पार्टी के बीच इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। बघेल और साव के बीच यह बहस राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। जहां बघेल इसे जनहित के खिलाफ मानते हैं, वहीं साव इसे राज्य के विकास के दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं।