न्यूयार्क। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2030 तक चाँद पर एक छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि वहाँ इंसानों के रहने के लिए लगातार और विश्वसनीय बिजली मिल सके। चाँद पर एक दिन 14 पृथ्वी दिनों के बराबर होता है, जिस वजह से वहाँ 14 दिनों तक धूप रहती है और फिर 14 दिनों तक अंधेरा रहता है। इस लंबे अंधेरे में सौर ऊर्जा काम नहीं कर सकती, इसलिए नासा ने न्यूक्लियर रिएक्टर को एक बेहतर और भरोसेमंद विकल्प माना है। यह रिएक्टर 100 किलोवाट बिजली पैदा करेगा, जो कि अंतरिक्ष मिशन के लिए काफी है। यह रिएक्टर पृथ्वी पर इस्तेमाल होने वाले आम रिएक्टरों की तुलना में करीब 20 गुना छोटा होगा। नासा का मानना है कि यह कदम चाँद पर अमेरिका की मौजूदगी को मज़बूत करेगा, क्योंकि उन्हें डर है कि रूस और चीन भविष्य में चाँद के कुछ हिस्सों को नो एंट्री जोन घोषित कर सकते हैं। इस मिशन में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कि अंतरिक्ष में रेडियोएक्टिव पदार्थ भेजना और लांच के दौरान दुर्घटना होने पर विकिरण (रेडिएशन) फैलने का खतरा। अगर यह मिशन सफल हो जाता है, तब 2030 के दशक में चाँद पर इंसानों के रहने के लिए स्थायी बस्तियां बन सकती हैं।
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