5 वीं से 8 वीं बोर्ड परीक्षा –
नई शिक्षा व्यवस्था पांचवीं से आठवीं बोर्ड परीक्षा-
छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद फिर से शुरू होने वाली पांचवीं-आठवीं बोर्ड परीक्षा जल्द ही शुरू होगी, क्योंकि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में फेल और पास की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है। RTE प्रदेश में अप्रैल 2010 से लागू है और पहली से आठवीं तक की उम्र के बच्चों को निरंतर पास किया जा रहा है।
15 साल बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पांचवीं-आठवीं बोर्ड परीक्षा की शुरुआत होगी, जिसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और कसावट लाना है। इसे राज्य सरकार जल्द ही अनुमोदित करेगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के लागू होने के बाद बोर्ड परीक्षा प्रणाली समाप्त हो गई। इस अधिनियम में कहा गया था कि कोई भी विद्यार्थी परीक्षा में फेल नहीं हो सकता था। आठवीं तक बच्चों को कक्षा में नहीं ले जाना चाहिए। बच्चों को कमजोर होने पर रेमेडियल शिक्षा दी जानी चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यवस्था से स्कूलों में अनुशासित शिक्षा का अभाव हुआ है, जिससे इसका उल्टा प्रभाव पड़ा है। ज्यादातर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नुकसान हुआ है, लेकिन कुछ निजी और मॉडल स्कूलों में कमजोर बच्चों का शिक्षण किया जाता है।
इसलिए, लोक शिक्षण संचालनालय ने परीक्षा प्रणाली में बदलाव करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेना शुरू कर दिया है। परीक्षा के बाद बच्चों को पास या फेल करने का निर्णय अभी नहीं लिया गया है।
यह व्यवस्था पहले पांचवीं से आठवीं तक की परीक्षा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की जाती थी। पांचवीं वर्ष में जिला प्राथमिक बोर्ड परीक्षा होती थी, जबकि आठवीं वर्ष में संभागीय पूर्व माध्यमिक बोर्ड परीक्षा होती थी। प्रदेश में संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय नहीं होता था जब पांचवीं-आठवीं की परीक्षाएं होती थीं।
प्रदेश में अब संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय होने से बड़े अधिकारियों को इन परीक्षाओं की जिम्मेदारी दी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था करने से अभिभावक और शिक्षक भी सावधान रहेंगे। एक-दूसरे स्कूल में कापियां जांची जाएंगी।