छत्तीसगढ़

बिलासपुर सिम्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल का संचालन –

बिलासपुर अपने आप को एक हेल्थ हब बनाने के लिए तैयार है, जहां सिम्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल संचालन करके सभी जटिल बीमारियों का इलाज संभव होगा।

बिलासपुर – दो सौ करोड़ रुपये की लागत से कोनी में यह सुंदर अस्पताल बनाया जा रहा है। नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू होना चाहिए। इसलिए अंतिम चरण का काम तेजी से चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भी अंतिम तिथि दी है कि इस अस्पताल को जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा।

सिम्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के संचालन से बिलासपुर संभाग में चिकित्सकीय सेवाओं में एक नया अध्याय शुरू होगा, जिससे हमारा संभाग एक हेल्थ हब बन जाएगा। मौजूदा परिस्थिति में लोगों को दूसरे शहर या राज्यों में इलाज के लिए जाना पड़ता है, लेकिन इस हास्पिटल के संचालन से जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज होने लगेगा। क्षेत्र सहित पूरे संभाग के लोग इससे लाभ उठाएंगे।यह शुरू होने से लाभ होगा क्योंकि यह हदय से संबंधित बीमारियां और सर्जरी, मस्तिष्क से संबंधित सभी बीमारियां और सर्जरी, किडनी, लीवर और फेफड़े से संबंधित जटिल बीमारियां और सर्जरी को ठीक करेगा। हालाँकि, क्षेत्रवासी इस अस्पताल के उद्घाटन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसके उद्घाटन के साथ ही क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ होगी। भविष्य में बिलासपुर हेल्थ हब के नाम से जाना जाएगा।

स्टेट कैंसर यूनिट से और भी बेहतर हो जाएगी –

प्रदेश का पहला राज्य कैंसर अस्पताल 120 करोड़ रुपये की लागत से सिम्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल परिसर में बनाया जा रहा है। भवन निर्माण का 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। निर्देश के अनुसार, इसे हर हाल में 2025 तक शुरू करना होगा। इस सेंटर की शुरुआत से बिलासपुर को देश का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल बनाना होगा।

इन अस्पतालों की वजह से भी बिलासपुर शहर का चिकित्सकीय केंद्र बन रहा है, जहां अपोलो हास्पिटल, केंद्रीय रेलवे हास्पिटल, गनियारी जन स्वास्थ्य केंद्र और सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सेवाएं दे रहे हैं। इन अस्पतालों में भी मरीजों को जटिल सर्जरी व इलाज से बचाया जा रहा है।

इन विभागों को चलाया जाएगा –

हृदय रोग से संबंधित व्यापक मेडिसिन और शल्य क्रियाएंकार्डियोलाजी व कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी)-नेफ्रोलाजी व यूरोलाजी (किडनी रोग)-न्यूरोलाजी व न्यूरोसर्जरी (मस्तिष्क रोग)

इलाज के लिए बाहर से भी आते हैं –

क्षेत्र की चिकित्सकीय सुविधा इतनी बेहतर हो चुकी है कि दूसरे राज्यों से आने वाले मरीज भी यहां की अस्पतालों में इलाज कराने आते हैं और मरीजों को उचित चिकित्सा मिलती है।

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