प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबु को अपने विशेष दौरे के दौरान कोल्हापुर की अद्वितीय शिल्पकला का प्रतीक सिलोफर पंचामृत कलश भेंट किया। यह कलश न केवल उच्च गुणवत्ता वाली चांदी से बना है, बल्कि इस पर कोल्हापुर के प्रसिद्ध पारंपरिक नक्काशी का बारीक काम भी किया गया है।
कोल्हापुरी कलश: संस्कृति और परंपरा का संगम
इस विशेष कलश पर कोल्हापुर की धातुकला की गहरी छाप है, जिसमें पारंपरिक रूपांकनों, फूलों के पैटर्न, देवताओं की आकृतियों और अनोखे डिज़ाइनों की नक्काशी की गई है। इसका डिज़ाइन धार्मिक उपयोग के अनुरूप तैयार किया गया है, खासकर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी) परोसने के दौरान। हैंडल और ढक्कन को ऐसी संरचना दी गई है, जो इसे समारोहों में उपयोग के लिए बेहद सुगम बनाता है।
17 साल बाद भारतीय पीएम का नाइजीरिया दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद नाइजीरिया का दौरा किया। यह यात्रा नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबु के निमंत्रण पर की गई। दौरे की शुरुआत प्रेसिडेंशियल विला में औपचारिक स्वागत से हुई, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने पर चर्चा की।
भारत-नाइजीरिया संबंधों को मिला नया आयाम
पीएम मोदी के इस दौरे को दोनों देशों के संबंधों में एक नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। विशेष उपहार के जरिए न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया गया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत-नाइजीरिया की साझेदारी को भी मजबूती दी गई।
सांस्कृतिक कूटनीति का अनूठा उदाहरण
सिलोफर पंचामृत कलश प्रधानमंत्री मोदी की सांस्कृतिक कूटनीति का एक शानदार उदाहरण है। यह भेंट न केवल भारतीय शिल्पकला की सुंदरता को उजागर करता है, बल्कि भारत की गहरी सांस्कृतिक जड़ों और परंपराओं का सम्मान भी दर्शाता है।
इस भेंट ने नाइजीरियाई राष्ट्रपति और वहां के नागरिकों के बीच भारत की सांस्कृतिक धरोहर की गहरी छाप छोड़ी है, जिससे दोनों देशों के संबंध और भी प्रगाढ़ होने की उम्मीद है।