
नई दिल्ली पोलावरम बहुउद्देश्यीय परियोजना को लेकर दशकों से चल रहे अंतर-राज्यीय विवादों को सुलझाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने इस विवादास्पद परियोजना पर सीधे तौर पर सभी चार संबंधित राज्यों के साथ चर्चा की है, जिससे इस जटिल मुद्दे के समाधान की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
पोलावरम परियोजना, जो आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर निर्माणाधीन है, को राज्य के लिए जीवनरेखा माना जाता है, लेकिन पड़ोसी राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना इसके निर्माण से होने वाले कथित नुकसान को लेकर लगातार आपत्ति जता रहे हैं। इन राज्यों की प्रमुख चिंताओं में बड़े पैमाने पर भूमि का जलमग्न होना, विशेषकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में, गाँवो का विस्थापन (जैसे ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में 200 से अधिक गाँव और छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के कोंटा तहसील के 9 गाँव), बाढ़ का खतरा और पर्यावरणीय क्षति शामिल हैं। इन राज्यों ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएँ भी दायर कर रखी हैं।
बैठक में चारों राज्यों के मुख्यमंत्री, उनके जल संसाधन मंत्री, वरिष्ठ राज्य अधिकारी, साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी भी उपस्थित थे। इस महत्वपूर्ण चर्चा का उद्देश्य जल के न्यायसंगत वितरण, पारदर्शी पुनर्वास और मुआवजा, पर्यावरणीय सुरक्षा तथा आदिवासी अधिकारों व आजीविका से जुड़े मुद्दों पर एक सर्वसम्मत समाधान खोजना था।
इस सीधी मध्यस्थता को विवाद को समाप्त करने और परियोजना के कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। परियोजना के समयबद्ध समापन के लिए अंतर-राज्यीय विवादों का समाधान केंद्र सरकार के लिए एक प्राथमिकता बन गया है। इस बैठक से सभी हितधारकों को वर्षों से लंबित मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद है।