चंडीगढ़: पंजाब में आई भीषण बाढ़ के बाद केंद्र सरकार द्वारा घोषित 1,600 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर अब राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। जहां एक ओर पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का आरोप है कि केंद्र ने अभी तक इस पैकेज का एक पैसा भी जारी नहीं किया है, वहीं केंद्र सरकार ने अब यह पैसा सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर करने का फैसला किया है।
केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा ने शनिवार को एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद 1,600 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि यह पैसा सीधे किसानों को दिया जाएगा क्योंकि उनका राज्य सरकार से भरोसा उठ गया है। वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने अधिकारियों से पारदर्शी तरीके से नुकसान का आकलन करने को कहा है और आकलन पूरा होने के बाद मुआवजे का भुगतान किया जाएगा।
दूसरी ओर, पंजाब सरकार लगातार केंद्र पर ‘सौतेला व्यवहार’ करने का आरोप लगा रही है। राज्य सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के विशेष पैकेज की मांग की थी। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का दौरा केवल एक ‘फोटो-ऑप’ था और केंद्र द्वारा घोषित 1,600 करोड़ रुपये की राशि राज्य के लिए एक ‘क्रूर मजाक’ है।
इस राजनीतिक खींचतान के बीच, कांग्रेस के एक विधायक परगट सिंह ने भी दोनों पक्षों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि राहत राशि को राजनीति का मोहरा बनाना पीड़ितों का अपमान है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकार को दरकिनार नहीं करना चाहिए, क्योंकि नुकसान सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम लोगों को भी हुआ है।
इस साल पंजाब में सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में आए उफान और हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से लाखों एकड़ फसलें और घर तबाह हो गए थे। राज्य सरकार के मुताबिक, 5 लाख एकड़ से अधिक फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस बीच, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पंजाब के 11 लाख किसानों को 222 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।