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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की चिंता: दुष्कर्म की घटनाओं पर समाज की उदासीनता

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पीड़ित महिलाएं समाज की उदासीनता और अपराधियों के बेखौफ व्यवहार के कारण भय और असुरक्षा में जी रही हैं। हाल ही में कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के दर्जनों मामलों ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया है।

समाज और अपराधियों के प्रति राष्ट्रपति की चिंता

अपराधियों की बेखौफी: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अपराधी अपराध करने के बाद भी बेखौफ घूमते हैं, जबकि पीड़ित अपने आप को अपराधी की तरह महसूस करते हैं और डर में जीते हैं। उन्होंने इस स्थिति को देश के सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू बताया और कहा कि समाज पीड़ित महिलाओं का साथ नहीं देता, जिससे उनकी स्थिति और भी दयनीय हो जाती है।

नेशनल ज्यूडिशियरी कांफ्रेंस: यह बात राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने पर आयोजित नेशनल ज्यूडिशियरी कांफ्रेंस के क्लोजिंग सेशन में कही। उन्होंने न्यायिक प्रणाली के सामने मौजूद कई चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी हितधारकों को मिलकर इन चुनौतियों को पार करना होगा।

न्यायिक प्रणाली में सुधार की जरूरत

ज्यूडिशियरी की चुनौतियां: राष्ट्रपति ने न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समय पर न्यायिक प्रशासन, बेहतर बुनियादी ढांचे, सुविधाओं, प्रशिक्षण और मानव संसाधन की उपलब्धता में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने सभी सुधार के आयामों में तेजी से प्रगति की जरूरत बताई।

महिलाओं की भागीदारी: राष्ट्रपति ने हाल के वर्षों में चयन समितियों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस वृद्धि के कारण महिलाओं की न्यायिक प्रणाली में भागीदारी में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जो एक सकारात्मक कदम है।

लंबित मामलों की चिंता

मामलों की देरी: राष्ट्रपति और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालतों में मामलों की लंबी देरी पर चिंता जताई। उन्होंने “तारीख पर तारीख” की संस्कृति को तोड़ने के लिए समाधान निकालने की आवश्यकता पर जोर दिया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी मामलों की पेंडेंसी को कम करने के लिए केस मैनेजमेंट के माध्यम से एक कार्य योजना तैयार करने की बात कही।

सुप्रीम कोर्ट का सम्मेलन: सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त और 1 सितंबर को जिला न्यायपालिका के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के जज, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के महासचिव और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल सहित 800 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्षों की उपलब्धियां

नई प्रतीक चिन्ह और झंडा: राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ पर नए झंडे और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की न्यायिक प्रणाली का सतर्क प्रहरी बताया और इसके 75 वर्षों के योगदान को अमूल्य करार दिया।

जिला स्तर पर कोर्ट की भूमिका: राष्ट्रपति ने जिला स्तर पर कोर्ट की भूमिका को बेहद अहम बताया। उन्होंने कहा कि जिला न्यायालयों के माध्यम से संवेदनशीलता, शीघ्रता और कम लागत में न्याय देना हमारी ज्यूडिशियल सिस्टम की सफलता का आधार है।

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