रायपुर विश्वविद्यालय (रविवि) ने छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने के लिए एक अभिनव योजना “प्रोफेसर ऑन प्रैक्टिस” शुरू की है। इस योजना के तहत, अब स्नातकोत्तर छात्रों को पढ़ाने के लिए किसी विशेष डिग्री या शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों को व्याख्यान के लिए बुलाया जाएगा, जिन्होंने अपने क्षेत्र में सामाजिक उपलब्धियां हासिल की हैं।
योजना की मुख्य बातें
- डिग्री की आवश्यकता समाप्त:
व्याख्यान देने के लिए किसी भी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है। केवल व्यक्ति की उपलब्धियां और संबंधित क्षेत्र में योगदान को ही प्राथमिकता दी जाएगी। - थ्योरी नहीं, सिर्फ व्यावहारिक ज्ञान:
चयनित व्यक्तियों द्वारा किसी भी प्रकार के थ्योरी पाठ्यक्रम का अध्यापन नहीं कराया जाएगा। वे छात्रों को अपने क्षेत्र के अनुभव, चुनौतियों, समाधान, और कार्यक्षेत्र में सफलता के तरीके सिखाएंगे। - मानदेय की व्यवस्था:
योजना के तहत, प्रत्येक व्याख्यान के लिए व्याख्याता को ₹2,500 मानदेय मिलेगा। प्रत्येक व्यक्ति अधिकतम चार व्याख्यान दे सकता है। - समाज कार्य विभाग से शुरुआत:
फिलहाल, इस योजना को समाज कार्य विभाग में लागू किया गया है। प्रतिष्ठित व्यक्तित्व पद्मश्री जागेश्वर यादव, जिन्होंने बिरहोर जनजाति की शिक्षा और विकास में अहम योगदान दिया है, को पहला व्याख्यान देने के लिए चुना गया है।
योजना का उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अंतर्गत, छात्रों को अधिक व्यावहारिक ज्ञान देने पर जोर दिया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य छात्रों को उनके पाठ्यक्रम से संबंधित क्षेत्रों में वास्तविक चुनौतियों और समाधानों के प्रति तैयार करना है।
- छात्र सीधे तौर पर विशेषज्ञों से उनके अनुभव और ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
- यह पहल छात्रों को कार्यक्षेत्र में आने वाली कठिनाइयों और उनसे निपटने के तरीकों को समझने में मदद करेगी।
भविष्य में योजना का विस्तार
- अन्य विभागों में भी इसे लागू किया जाएगा।
- विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त व्यक्तियों को छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने का अवसर मिलेगा।