ग्रामीण विकास और रोजगार गारंटी योजना (MNREGA) में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘QR कोड आधारित निगरानी प्रणाली’ को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। पंचायतों में लागू की गई इस अभिनव पहल ने न केवल काम की गति बढ़ाई है, बल्कि फर्जी हाजिरी और भुगतान संबंधी गड़बड़ियों पर भी लगाम लगाई है।
तकनीक से बदली मनरेगा की सूरत
इस नई व्यवस्था के तहत, प्रत्येक ग्राम पंचायत में चल रहे मनरेगा कार्यों और कार्यस्थलों को एक विशिष्ट QR कोड आवंटित किया गया है। जब भी कोई अधिकारी या पर्यवेक्षक निरीक्षण के लिए आता है, तो उन्हें इस कोड को स्कैन करना होता है। स्कैन करते ही उस प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति, मस्टर रोल, मजदूरों की संख्या और अब तक हुए खर्च का पूरा विवरण डिजिटल रूप से सामने आ जाता है। इस तकनीक के सफल कार्यान्वयन के लिए संबंधित विभाग को हाल ही में एक समारोह में पुरस्कृत किया गया।
पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार
पुरस्कार चयन समिति ने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल से ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना ग्रामीण स्तर पर सच हो रहा है। पहले मनरेगा में अक्सर मस्टर रोल के रखरखाव और फर्जी मजदूरों के नाम दर्ज होने की शिकायतें आती थीं। अब QR कोड आधारित जियो-टैगिंग और रियल-टाइम डेटा अपडेट के कारण बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है। मजदूरों को भी अब अपने काम और मजदूरी के भुगतान के लिए भटकना नहीं पड़ता, क्योंकि सारा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध है।
भविष्य की राह
इस पहल की सफलता को देखते हुए, सरकार अब इसे देश की अन्य पंचायतों में भी व्यापक स्तर पर लागू करने की योजना बना रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के तकनीकी नवाचार से न केवल सरकारी धन का सदुपयोग सुनिश्चित होता है, बल्कि अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का सिस्टम पर भरोसा भी मजबूत होता है। यह पुरस्कार अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेगा कि वे कैसे तकनीक का उपयोग करके शासन प्रशासन को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।