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भूपेश बघेल का सरकार पर गंभीर आरोप: निकाय चुनाव और धान खरीदी पर उठाए सवाल

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर निकाय चुनावों में देरी और धान खरीदी में किसानों के साथ अन्याय का गंभीर आरोप लगाया

रायपुर, छत्तीसगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए नगरीय निकाय चुनावों में देरी और धान खरीदी प्रक्रिया में अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए किसानों के साथ अन्याय का आरोप लगाया।

नगरीय निकाय चुनाव में देरी का मुद्दा

भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार जानबूझकर नगरीय निकाय चुनावों में देरी कर रही है।

  • संवैधानिक उल्लंघन का आरोप:
    उन्होंने दावा किया कि संविधान के अनुसार पांच साल के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है, लेकिन सरकार ने इसके विपरीत अधिसूचना जारी कर छह महीने की देरी का प्रावधान किया है।
  • चुनाव टालने का आरोप:
    बघेल का कहना है कि यह कदम केवल चुनावों को टालने की मंशा को दर्शाता है। उन्होंने इसे लोकतंत्र विरोधी करार दिया।

धान खरीदी में किसानों को हो रहा नुकसान

धान खरीदी को लेकर भूपेश बघेल ने किसानों के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार की नीतियां किसानों के खिलाफ हैं।

  • अनावरी रिपोर्ट:
    उन्होंने आरोप लगाया कि कलेक्टरों को कम अनावरी (फसल उत्पादन) दिखाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
  • छोटे किसानों की समस्याएं:
    • छोटे किसानों को धान खरीदी में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
    • बायोमेट्रिक व्यवस्था के कारण किसानों को टोकन मिलने में देरी हो रही है।
    • बारदाने की कमी और 72 घंटे के भीतर भुगतान न होने की शिकायतें बढ़ रही हैं।
  • धान संग्रहण केंद्रों की स्थिति:
    धान संग्रहण केंद्रों में धान जाम हो रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार किसानों से धान खरीदने में इच्छुक नहीं है।

भूपेश बघेल का सवाल:

“यदि सरकार किसानों से धान लेना चाहती है, तो अनावरी रिपोर्ट की अनिवार्यता क्यों लागू की गई है?”

राजनीतिक मायने और सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार

भूपेश बघेल के इन आरोपों ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।

  • इन मुद्दों पर सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
  • बघेल के आरोप विशेष रूप से छोटे किसानों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जुड़े हैं, जो आगामी चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।

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