रायपुर। राजधानी में हाल ही में बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच, सेंट्रल जेल के बाहर फायरिंग की घटना ने कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। पुलिस का मानना है कि यह गोलीबारी शहर में लंबे समय से चल रहे गैंगवार का नतीजा है, जिसकी जड़ें जेल परिसर में दो महीने पहले हुई चाकूबाजी की घटना से जुड़ी हैं। मौदहापारा के बदमाशों और संतोषी नगर के गैंग के बीच यह तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और बदले की आग ने सड़कों तक खून बहा दिया।
दो माह पुरानी चाकूबाजी ने भड़काई फायरिंग
पिछली घटना में मौदहापारा के बदमाश शेख साहिल पर जेल में चाकू से हमला हुआ था। इस हमले से नाराज होकर साहिल के दुश्मनों ने बदला लेने का प्लान बनाया। जैसे ही उन्हें पता चला कि साहिल अपने भाई से जेल में मिलने जा रहा है, बदमाश हथियार से लैस होकर सेंट्रल जेल के बाहर मंडराने लगे। सोमवार को मौका पाते ही उन्होंने साहिल पर दो राउंड फायर किया और डिवाइडर फांदकर अपनी एक्टिवा से फरार हो गए।
फायरिंग से मची अफरा-तफरी, सुरक्षा पर उठे सवाल
जेल परिसर के बाहर अचानक हुई फायरिंग से लोग दहशत में आ गए। आसपास के लोग बदमाशों को पकड़ने की कोशिश करते, उससे पहले ही वे भागने में सफल हो गए। यह घटना जेल प्रशासन और पुलिस की सुरक्षा तैयारियों की पोल खोल रही है, क्योंकि घटनास्थल से महज 200 मीटर की दूरी पर गंज थाना और क्राइम ब्रांच कार्यालय स्थित है।
साहिल का बयान और अस्पताल में हलचल
फायरिंग में घायल साहिल ने पुलिस को बताया कि वह अपने भाई शाहिद से मिलने पहली बार जेल पहुंचा था। उसके साथ उसका भाई शाहरुख भी था। घटना के बाद साहिल को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसके परिचितों और पड़ोसियों की भीड़ जमा हो गई। सुरक्षा गार्डों ने उन्हें अस्पताल के अंदर जाने से रोका, जिससे माहौल और गहमा-गहमी भरा हो गया।
गंभीर हो सकता था मामला, पर बचा साहिल
घटना में इस्तेमाल किए गए 12 बोर के देशी कट्टे से फायरिंग नजदीक से की गई, जिससे साहिल के चेहरे, छाती, और गले पर मामूली चोटें आईं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर फायरिंग दूर से होती, तो मामला और गंभीर हो सकता था।
दोनों पक्षों पर दर्ज हैं गंभीर अपराध
एएसपी सिटी लखन पटले ने बताया कि फायरिंग में शामिल दोनों पक्षों के खिलाफ पहले से ही हत्या की कोशिश, एनडीपीएस एक्ट, और मारपीट जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। घटना के बाद बदमाशों के परिजनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज हैं।
आईजी की बैठक के बाद ही हुई फायरिंग
सोमवार को आईजी अमरेश मिश्रा ने बढ़ते अपराधों को लेकर सभी पुलिस अधिकारियों की बैठक ली थी। उन्होंने अपराधों पर अंकुश न लगा पाने वाले अफसरों को फटकार भी लगाई थी। मगर बैठक खत्म होने के एक घंटे बाद ही जेल परिसर के बाहर फायरिंग की घटना ने उनकी चिंताओं को और गंभीर बना दिया।