Ratan Tata Death: 86 की उम्र में ली अंतिम सांस, पीएम मोदी ने जताया शोक
दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन, रतन टाटा का बुधवार रात 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट के कारण उन्हें सोमवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था
R.I.P. Ratan Tata: दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन, रतन टाटा का बुधवार रात 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट के कारण उन्हें सोमवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां ICU में उनकी हालत गंभीर थी।
रतन टाटा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, उदार हृदय और असाधारण व्यक्तित्व थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित व्यापारिक समूह को एक स्थिर नेतृत्व प्रदान किया।”
सोमवार, 7 अक्टूबर को अपनी आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट में, रतन टाटा ने अपनी तबीयत को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा था कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति सामान्य है और वह उम्र संबंधी जांच करा रहे हैं।
रतन टाटा का जीवन और योगदान
रतन टाटा, जो दूरदर्शी और परोपकारी नेता के रूप में जाने जाते थे, ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। मार्च 2024 तक, टाटा समूह की कुल संपत्ति 365 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 30.7 लाख करोड़ रुपये) से अधिक हो चुकी है।
टाटा समूह की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में टाटा कंपनियों का कुल राजस्व 165 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 13.9 लाख करोड़ रुपये) से अधिक रहा। टाटा समूह के 30 से अधिक व्यवसायों में 10 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), टाटा मोटर्स, इंडियन होटल्स, एयर इंडिया, जगुआर लैंड रोवर, टाइटन, इनफिनिटी रिटेल (क्रोमा) और ट्रेंट (वेस्टसाइड, ज़ारा) शामिल हैं।
रतन टाटा का टाटा ग्रुप का विस्तार
रतन टाटा ने मार्च 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष का पदभार संभाला और 28 दिसंबर 2012 को सेवानिवृत्त हुए। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने टाटा समूह के व्यापार का आक्रामक विस्तार किया।
उनके नेतृत्व में, टाटा समूह का वार्षिक राजस्व 1991 में 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2011-12 में 100.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। उन्होंने कई प्रमुख अधिग्रहण किए, जिनमें 2000 में टाटा टी द्वारा टेटली का 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में अधिग्रहण, 2007 में टाटा स्टील द्वारा स्टीलमेकर कोरस का 6.2 बिलियन पाउंड में अधिग्रहण और 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर का 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में अधिग्रहण शामिल है। इन अधिग्रहणों ने टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाई, और अब समूह की आधी से अधिक आय भारत के बाहर से आती है।