छत्तीसगढ़ में शराब से राजस्व में जबरदस्त उछाल, पीने वालों की संख्या भी बढ़ी
छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री से राजस्व 8600 करोड़ रुपये पहुंचा, 11 हजार करोड़ का लक्ष्य। राज्य में 35.9% आबादी शराब का सेवन करती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Raipur News | छत्तीसगढ़ में बीते पांच वर्षों में शराब बिक्री से मिलने वाला राजस्व लगभग दोगुना हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (NFHS) की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की 35.9% आबादी शराब का सेवन करती है, जिससे यह देश के शीर्ष शराब उपभोक्ता राज्यों में शामिल हो गया है।
शराब बिक्री से सरकार की कमाई दोगुनी
राज्य सरकार को आबकारी विभाग से होने वाली कमाई लगातार बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री से राजस्व का आंकड़ा नीचे दिए गए अनुसार है:
वित्तीय वर्ष | आबकारी राजस्व (₹ करोड़) |
---|---|
2019-20 | 4952.79 |
2020-21 | 4636.90 |
2021-22 | 5110.15 |
2022-23 | 6783.61 |
2023-24 | 8430.49 |
2024-25 (अब तक) | 8600 |
क्या 11,000 करोड़ का लक्ष्य पूरा होगा?
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 11,000 करोड़ का लक्ष्य रखा है, जिसमें से अब तक 8,600 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है। आबकारी विभाग के अनुसार, मार्च के अंत तक बिक्री बढ़ने की संभावना है, क्योंकि वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आमतौर पर अधिक शराब की खपत होती है।
छत्तीसगढ़ में बढ़ रही शराब पीने वालों की संख्या
शराब पीने वालों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। हाल ही में NFHS द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 35.9% पुरुष शराब का सेवन करते हैं, जो इसे देश के शीर्ष शराब उपभोक्ता राज्यों में लाता है। भारत में सबसे अधिक शराब पीने वाले पुरुषों की प्रतिशतता वाले राज्यों की सूची:
- गोवा – 59.1%
- अरुणाचल प्रदेश – 56.6%
- तेलंगाना – 50%
- झारखंड – 40.4%
- ओडिशा – 38.4%
- सिक्किम – 36.3%
- छत्तीसगढ़ – 35.9%
- तमिलनाडु – 32.8%
- उत्तराखंड – 32.1%
- आंध्र प्रदेश – 31.2%
क्या बढ़ती शराब बिक्री सरकार के लिए चिंता का विषय?
हालांकि शराब से होने वाली कमाई सरकार के लिए फायदेमंद है, लेकिन सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं को लेकर यह एक गंभीर मुद्दा भी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, शराब की बढ़ती खपत से स्वास्थ्य समस्याएं, घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाएं और अपराध दर में बढ़ोतरी हो सकती है।