छत्तीसगढ़ में आरटीई घोटाला: स्कूलों ने शासन से करोड़ों की वसूली
छत्तीसगढ़ में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (आरटीई) के तहत प्रतिपूर्ति राशि घोटाले का मामला सामने आया है।

छत्तीसगढ़ में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (आरटीई) के तहत प्रतिपूर्ति राशि घोटाले का मामला सामने आया है। आरटीई के नियमों के अनुसार, स्कूलों को अपनी कुल सीटों का 25% गरीब छात्रों को आरक्षित करना होता है, जिनकी फीस सरकार द्वारा चुकाई जाती है। लेकिन, कई निजी स्कूलों ने 25% से अधिक सीटों पर गरीब छात्रों को दाखिला देकर सरकार से अतिरिक्त राशि वसूली।
कैसे दिया जा रहा है घोटाले को अंजाम
प्रत्येक स्कूल को यू-डाइस कोड (UDISE Code) जारी किया जाता है, जिसके माध्यम से प्रवेश संख्या और अन्य जानकारी पोर्टल पर दर्ज की जाती है। स्कूलों द्वारा पोर्टल पर अधिक संख्या में छात्रों को दर्शाया जाता है, जिससे उनकी आरटीई सीटें भी बढ़ जाती हैं। इसके चलते शासन से फर्जीवाड़े के जरिए करोड़ों रुपए की प्रतिपूर्ति राशि ली गई।
प्रति छात्र वसूली राशि
शासन, प्राथमिक कक्षाओं में आरटीई छात्रों के लिए प्रति छात्र ₹7,000 और उच्चतर कक्षाओं में ₹11,400 सालाना देती है। सत्र 2023-24 में आरटीई राशि का भुगतान दिसंबर 2024 में किया गया, जबकि सत्र 2024-25 की राशि का भुगतान अभी लंबित है।
भिलाई-दुर्ग में सबसे अधिक मामले
राज्यभर में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन भिलाई-दुर्ग में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा हुआ है। यहाँ कई स्कूलों ने प्रवेश संख्या में हेराफेरी कर शासन को चूना लगाया।
आरटीई घोटाले के प्रमुख मामले
- केस 1: स्कूल (UDISE Code: 22100604505) ने 25% के स्थान पर 95 गरीब छात्रों को प्रवेश दिया, जिससे ₹4,06,000 की अतिरिक्त वसूली की गई।
- केस 2: स्कूल (UDISE Code: 22100601903) ने 10 बच्चों की जगह 60 बच्चों की फीस का भुगतान लिया, जिससे ₹3,18,000 का नुकसान हुआ।
- केस 3: स्कूल (UDISE Code: 22100600104) ने 45 सीटों के स्थान पर 61 बच्चों को प्रवेश देकर ₹1,82,000 का अतिरिक्त भुगतान लिया।
- केस 4: स्कूल (UDISE Code: 22100603005) ने 30 आरटीई छात्रों की जगह 57 बच्चों को दाखिला देकर ₹1,96,000 की वसूली की।
- केस 5: स्कूल (UDISE Code: 22100600106) ने 101 की जगह 134 बच्चों को दाखिला देकर ₹3,02,000 का अतिरिक्त भुगतान लिया।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
दुर्ग जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद मिश्रा ने कहा, “अगर यू-डाइस कोड में दर्ज संख्या और वास्तविक छात्रों की संख्या में अंतर है और अतिरिक्त प्रतिपूर्ति राशि ली गई है, तो इसकी जांच की जाएगी।”
निजी विद्यालय संघ का पक्ष
संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि सामान्य वर्ग के कई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, जिससे आरटीई छात्रों की संख्या बढ़ जाती है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह भी जांच का विषय है।