मराठा आरक्षण पर घमासान: छगन भुजबल ने कैबिनेट बैठक छोड़ी, ओबीसी समुदाय के लिए जताई चिंता
मराठा आरक्षण पर घमासान: छगन भुजबल ने कैबिनेट बैठक छोड़ी, ओबीसी समुदाय के लिए जताई चिंता

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण को लेकर चल रहा घमासान एक बार फिर सतह पर आ गया है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के मंत्री और वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कैबिनेट बैठक बीच में ही छोड़ दी। उन्होंने मराठाओं को आरक्षण देने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मौजूदा कोटे में कटौती करने के प्रस्ताव पर अपनी कड़ी आपत्ति और नाराजगी व्यक्त की।
यह घटनाक्रम तब हुआ जब सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के तरीकों पर विचार कर रही है। भुजबल, जो खुद ओबीसी समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं, लंबे समय से इस बात का विरोध कर रहे हैं कि मराठा आरक्षण को ओबीसी कोटे के भीतर से दिया जाए। उनका तर्क है कि अगर ऐसा किया गया तो यह ओबीसी समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला होगा।
सोमवार को, ओबीसी नेताओं के साथ एक बैठक के बाद, भुजबल ने साफ तौर पर कहा था कि मराठा समुदाय को ओबीसी दर्जा देना न्यायसंगत नहीं होगा। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि महाराष्ट्र में 374 से अधिक समुदायों के लिए पहले से ही केवल 17% आरक्षण उपलब्ध है। ऐसे में, मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने से इस आरक्षण का संतुलन बिगड़ जाएगा और ओबीसी समुदायों के हक़ मारे जाएंगे।
भुजबल ने मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरे मनोज जरांगे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “जरांगे के नेतृत्व में आंदोलन अपनी दिशा खो चुका है।” भुजबल ने इस बात को भी बेतुका बताया कि मराठा और कुनबी को एक ही माना जाए, क्योंकि उनके अनुसार यह ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से सही नहीं है।
यह घटना महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की सरकार के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा है। एक तरफ जहां मराठा समुदाय अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ओबीसी समुदाय अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा है।
छगन भुजबल का कैबिनेट बैठक से बाहर निकलना यह दर्शाता है कि मराठा आरक्षण का मुद्दा सरकार के भीतर भी गहरे मतभेद पैदा कर रहा है। यह देखना बाकी है कि सरकार इस नाजुक स्थिति को कैसे संभालती है और क्या वह कोई ऐसा समाधान निकाल पाती है जो दोनों समुदायों को स्वीकार्य हो। इस बीच, भुजबल की नाराजगी ने ओबीसी समुदाय के बीच अपनी स्थिति को और मजबूत किया है, और यह मुद्दा आने वाले दिनों में और भी गरमा सकता है।