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कांग्रेस में बदलाव की सुगबुगाहट तेज : आदिवासी नेतृत्व की मांग के बीच सिंहदेव का बड़ा बयान – “जो सबसे उपयुक्त हो, उसे मिले जिम्मेदारी”

छत्तीसगढ़ में लगातार चुनावी हार के बाद कांग्रेस में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है, और अब आदिवासी नेतृत्व की मांग जोर पकड़ रही है। इस पर पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।

आदिवासी नेतृत्व की मांग, लेकिन विरोधाभास बरकरार?

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस लगातार हार का सामना कर रही है, जिससे पार्टी में बदलाव की मांग तेज हो गई है। प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व की मांग उठाने वाले नेताओं में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का नाम सबसे आगे है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वर्तमान पीसीसी चीफ भी आदिवासी समुदाय से ही आते हैं, फिर इस मांग के पीछे असली राजनीति क्या है?

अमरजीत भगत की इस मांग पर भावी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माने जा रहे टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “पार्टी में सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है। किसी भी पद के लिए सभी संभावित नामों पर विचार किया जा सकता है। जो सबसे उपयुक्त हो, उसे जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।”

हार के लिए कौन जिम्मेदार? सिंहदेव ने दिया कूटनीतिक जवाब

लगातार चुनावी हार को लेकर कांग्रेस के भीतर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस पर सिंहदेव ने किसी एक व्यक्ति को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया और कहा, “जब जीत होती है, तो वह सभी की मेहनत से होती है। और जब हार होती है, तो उसकी जिम्मेदारी भी सभी की होती है।” सिंहदेव का यह बयान पार्टी के भीतर चल रही खींचतान को कम करने की कोशिश मानी जा रही है।

क्या पंचायत चुनाव में कांग्रेस को मिलेगी राहत?

नगर निकाय चुनाव में करारी हार झेलने के बाद कांग्रेस को अब पंचायत चुनावों से उम्मीद है। इस पर सिंहदेव ने कहा, “कुछ क्षेत्रों में 50-50 के नतीजे आ रहे हैं। अंबिकापुर और सूरजपुर जैसे जिलों में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है। अभी और भी चुनाव बाकी हैं, जहां हमें अच्छे नतीजे मिलने की उम्मीद है।”

दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की हलचल – बदलाव के संकेत?

इस बीच, कांग्रेस में बड़े बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई दिग्गज नेता दिल्ली में हाईकमान से मुलाकात करने में व्यस्त हैं। माना जा रहा है कि पीसीसी अध्यक्ष पद को लेकर जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जल्द ही बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। सवाल यह है कि क्या आदिवासी नेतृत्व की मांग केवल एक राजनीतिक रणनीति है, या इसके पीछे कोई ठोस योजना है? अब सबकी नजरें पार्टी आलाकमान के फैसले पर टिकी हुई हैं।

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