छत्तीसगढ़ में रेत खदानें बंद: निर्माण कार्यों पर गहराएगा संकट, 15 अक्टूबर के बाद ही मिलेगी राहत-
छत्तीसगढ़ में रेत खदानें बंद: निर्माण कार्यों पर गहराएगा संकट, 15 अक्टूबर के बाद ही मिलेगी राहत-

रायपुर, छत्तीसगढ़: मानसून के आगमन के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य में रेत खदानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध 15 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा, जिसका सीधा असर राज्य भर में चल रहे छोटे-बड़े सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर पड़ने वाला है। इस बंदी के कारण आने वाले महीनों में रेत की उपलब्धता कम होगी और इसकी कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है, जिससे आम उपभोक्ता से लेकर बड़े बिल्डरों तक सभी प्रभावित होंगे।
मानसून के कारण लिया गया निर्णय
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, बरसात के मौसम में नदियों से रेत उत्खनन पर रोक लगाई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना और अत्यधिक खनन से होने वाले कटाव को रोकना है। छत्तीसगढ़ के खनिज संसाधन विभाग ने इन्हीं दिशानिर्देशों का पालन करते हुए राज्य की सभी लाइसेंसी और गैर-लाइसेंसी रेत खदानों को बंद करने का आदेश जारी किया है। यह कदम नदी तटों और जल निकायों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
निर्माण क्षेत्र पर सीधा प्रभाव
रेत निर्माण कार्य का एक मूलभूत घटक है। सड़क निर्माण से लेकर भवनों और अन्य अधोसंरचना परियोजनाओं तक, हर जगह रेत की आवश्यकता होती है। खदानों के बंद होने से रेत की आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो जाएगी। वर्तमान में, जिन लाइसेंस धारकों या ठेकेदारों के पास रेत का पुराना स्टॉक है, वे ही कुछ समय तक आपूर्ति कर पाएंगे। हालांकि, यह स्टॉक सीमित है और मांग बढ़ने पर जल्द ही खत्म हो जाएगा।
रेत की कमी का सीधा असर विभिन्न सरकारी और निजी परियोजनाओं पर पड़ेगा। सड़कों, पुलों और सरकारी भवनों के निर्माण में देरी हो सकती है, जिससे परियोजनाओं की लागत भी बढ़ सकती है। निजी आवास और व्यावसायिक निर्माण भी प्रभावित होंगे, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को झटका लग सकता है। उपभोक्ताओं को घर बनाने या मरम्मत कराने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
अवैध खनन और भंडारण का खतरा
जब वैध तरीके से रेत उपलब्ध नहीं होती है, तो अवैध खनन और भंडारण की गतिविधियां बढ़ने की संभावना रहती है। कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रतिबंध लगने से पहले ही कुछ लोगों ने बड़े पैमाने पर रेत का अवैध भंडारण कर लिया है। खनिज विभाग द्वारा लगातार निगरानी और कार्रवाई की जा रही है ताकि ऐसे अवैध कार्यों पर अंकुश लगाया जा सके। विभाग ने अवैध खनन, भंडारण और परिवहन में लिप्त वाहनों को जब्त करने और भारी जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद, मानसून के दौरान अवैध गतिविधियों का जोखिम बना रहता है, जिससे न केवल राजस्व का नुकसान होता है बल्कि पर्यावरण को भी क्षति पहुँचती है।
15 अक्टूबर तक इंतजार, फिर मिलेगी राहत
राज्य में निर्माण गतिविधियों को फिर से गति पकड़ने के लिए 15 अक्टूबर का इंतजार करना होगा, जब रेत खदानें फिर से खोलने की अनुमति दी जाएगी। तब तक, निर्माण उद्योग को मौजूदा स्टॉक और बढ़ी हुई कीमतों के साथ ही काम चलाना होगा। सरकार और संबंधित विभागों को यह सुनिश्चित करने की चुनौती होगी कि खदानें खुलने के बाद रेत की आपूर्ति सुचारु रूप से हो और इसकी कीमतें नियंत्रण में रहें, ताकि आम जनता और निर्माण क्षेत्र को अनावश्यक बोझ का सामना न करना पड़े।