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राजिम के संतोष उपाध्याय: छात्रसंघ से विधायक तक का सफर

राजिम के संतोष उपाध्याय ने छात्रसंघ अध्यक्ष से लेकर विधायक तक का सफर तय किया। भाजपा के प्रभावशाली नेता रहे उपाध्याय की सांगठनिक क्षमता और जनता से जुड़ाव ने उन्हें राजनीति में मजबूत बनाया।

राजिम। राजनीति में सफलता का सफर आसान नहीं होता, लेकिन संतोष उपाध्याय ने इसे अपनी कड़ी मेहनत, संगठन क्षमता और मजबूत जनसंपर्क से संभव कर दिखाया। राजिम कॉलेज के छात्र जीवन से लेकर विधायक बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक रहा है।

छात्रसंघ से की राजनीतिक पारी की शुरुआत

एक समय था जब कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव बेहद प्रतिष्ठित माने जाते थे। राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले छात्र पूरी ताकत झोंक देते थे। राजिम कॉलेज भी इससे अछूता नहीं था, और यहीं से संतोष उपाध्याय की राजनीतिक यात्रा शुरू हुई।

गजब की सांगठनिक क्षमता के चलते उन्होंने छात्रसंघ चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की। छात्रों का अपार समर्थन मिला और वे छात्रसंघ अध्यक्ष बने। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की नींव पड़ी।

पंच से विधायक तक का सफर

छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और जल्द ही ग्राम पंचायत के पंच बने। फिर वे सरपंच बने और इसके बाद जनपद अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।

इसके बाद उन्होंने जिला पंचायत सदस्य के रूप में कार्य किया और फिर 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट पाकर चुनाव लड़ा और विधायक बने। डॉ. रमन सिंह सरकार में वे प्रभावशाली विधायकों में गिने जाते थे।

भाषण देने की अद्भुत कला

संतोष उपाध्याय अपने जोशीले और प्रभावी भाषणों के लिए जाने जाते थे। उनके भाषणों में आम जनता के प्रति आत्मीयता झलकती थी, जिससे लोग उनसे आसानी से जुड़ जाते थे। उनका हंसमुख स्वभाव और सकारात्मक दृष्टिकोण उनकी राजनीति की सफलता का एक बड़ा कारण रहा।

संतोष उपाध्याय की सफलता का राज

  • मजबूत संगठन क्षमता
  • जनता से आत्मीय जुड़ाव
  • हंसमुख और मिलनसार व्यक्तित्व
  • कभी हार न मानने वाला जज़्बा

उनका सफर राजनीति में आने वाले युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो मेहनत और ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहते हैं।

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