महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला है। समाजवादी पार्टी (एसपी) ने शनिवार (7 दिसंबर) को महाविकास अघाड़ी (MVA) से अलग होने का ऐलान कर दिया। यह कदम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता मिलिंद नार्वेकर के विवादित बयान के बाद उठाया गया। नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं वर्षगांठ पर ट्वीट कर बालासाहेब ठाकरे के बयान को दोहराते हुए लिखा था, “मुझे गर्व है उन पर जिन्होंने यह किया।” इसके साथ बाबरी विध्वंस की तस्वीर भी साझा की गई थी।
समाजवादी पार्टी का कड़ा रुख
एसपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने कहा कि उनकी पार्टी सांप्रदायिक विचारधारा का समर्थन नहीं कर सकती। आजमी ने बयान दिया, “शिवसेना (यूबीटी) धर्मनिरपेक्षता और संविधान की रक्षा के सिद्धांतों के खिलाफ जा रही है, इसलिए हमने MVA से नाता तोड़ लिया है।”
गठबंधन की नींव पर सवाल
समाजवादी पार्टी के नेता रईस शेख ने शिवसेना (यूबीटी) पर सवाल उठाते हुए कहा कि MVA धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए बना था। लेकिन इस तरह के बयान से गठबंधन की मूल भावना आहत हुई है। उन्होंने उद्धव ठाकरे से इस बयान पर सफाई देने की मांग की।
पहले भी दिखे थे मतभेद
एसपी के दो विधायकों ने महाराष्ट्र कैबिनेट गठन के दौरान MVA के बहिष्कार के फैसले का विरोध किया था। अबू आसिम आजमी ने यह भी कहा कि “अगर MVA भी बीजेपी जैसी राजनीति करेगा, तो दोनों में कोई अंतर नहीं रहेगा।”
चुनावी परिणामों पर MVA का असंतोष
MVA नेताओं ने महाराष्ट्र चुनाव परिणामों में ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राऊत ने कहा कि उनकी सीटें “चोरी” की गई हैं। कांग्रेस और एनसीपी ने चुनाव बैलट पेपर से कराने की मांग की।
महायुति की बड़ी जीत
चुनावों में बीजेपी, एकनाथ शिंदे गुट, और अजित पवार गुट ने 288 में से 230 सीटें जीतकर महायुति को सत्ता में पहुंचा दिया। वहीं, MVA अपने दम पर विपक्ष का दर्जा पाने के लिए आवश्यक सीटें नहीं जुटा पाई।